For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दास्ताने होली (होली के पावन पर्व पर जनहित में जारी)

होली के हुरियारों ने, मुझे पिला दी भंग

अंग अंग में छा गई, भंग की तरंग

गिरते पड़ते जैसे तैसे, वापिस घर मै आया

बाहर खड़े खजहे कुत्ते को, खूब गले लगाया

वो मुझे चाट रहा था, मै उसको चूम रहा था

मदहोश था यारो, मेरा सर घूम रहा था

रंगरंगीली छैलछबीली, वहाँ एक नार खड़ी थी

वो मुझे देखकर मुस्काई, मेरी उससे आँख लड़ी थी

उसकी कातिल मुस्कान ने, मेरे अरमानो को हवा दी

रोमांटिक हुआ तन बदन मेरा, मैने बायीं आँख दबा दी

आगे बढकर उसके गोरे गालों में , रगडा खूब गुलाल

आलिंगन न कर पाए, दिल को हुआ मलाल

साहस करके मांग लिया, उसका सैल नंबर

तब आया भूचाल ऐसा कि, हिल गये धरती अम्बर

चंडी बन धाराप्रबाह, उसने दी मुझको गाली

उसने चेहरा धोया वो, निकली मेरी घरबाली

झाड़ू बेलन लेकर उसने, उतारी मेरी भांग

अंदर घसीटकर ले गई, पकड़कर मेरी टांग

एक बाल्टी ठंडा पानी उसने मुझ पर डाला

मेरे मुंह पर लगा हुआ था ख़ामोशी का ताला

तुम मर्द कुत्ते की पूंछ, टेढ़ी बारम्बार

देख के लड़की हर उम्र मै टपकाते हो लार

होली के पावन पर्व में दिल में भरो उमंग

किन्तु होली के हुरियारों मत पीना तुम भंग

Dr.Ajay Khare Aahat

Views: 475

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr.Ajay Khare on March 12, 2013 at 2:01pm

adarniy Nema ji sadhubaad

Comment by बसंत नेमा on March 12, 2013 at 12:44pm

अजय सर आप की चेतावनी का ध्यान रखा जायेगा ...सचेत करने के लिये बहुत बहुत बधाई ....

Comment by Dr.Ajay Khare on March 12, 2013 at 10:59am

pathak ji mujhe to kujli nahi hui kintu mai sabko hasya rupi khujli karna chahta tha jo hui aapka sadhubaad

Comment by ram shiromani pathak on March 11, 2013 at 8:49pm

गिरते पड़ते जैसे तैसे, वापिस घर मै आया

बाहर खड़े खजहे कुत्ते को, खूब गले लगाया

वो मुझे चाट रहा था, मै उसको चूम रहा था

मदहोश था यारो, मेरा सर घूम रहा था!

आदरणीय अजय जी अपने तो हँसा दिया .......

खजहे कुत्ते को खूब गले लगाया .................आपको खुजली तो नहीं  हुई ना....हा हा हा हा  बहोत खूब .......

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो"
4 hours ago
Aazi Tamaam commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"अच्छी रचना हुई आदरणीय बधाई हो"
4 hours ago
Aazi Tamaam commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो 3 बोझ भारी तले को सुधार की आवश्यकता है"
4 hours ago
Aazi Tamaam commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय इस बह्र पर हार्दिक बधाई"
4 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेंद्र इंसान जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
4 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत शुक्रिया आदरणीय भंडारी जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
4 hours ago
surender insan commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई जी  छन्न पकैया (सारछंद) में आपने शानदार और सार्थक रचना की है। बहुत बहुत बधाई…"
6 hours ago
surender insan commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब। बहुत बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करे जी।"
6 hours ago
surender insan commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सौरभ जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत बहुत…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service