For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कवि का प्यार

जब एक कवि को हुआ, कवियत्री से प्यार

 दिलो जान से उस पर हुआ निसार

 कवि का एकतरफा दिल, गया मचल

   हास्य छोड़कर, वो लिखने लगा गजल

   गजल  लिखकर कवियत्री को पोस्ट करने लगा

 जिस कवि सम्मेलन मै कवियत्री हो, उसे होस्ट करने लगा

 कवि सम्मेलन मै कवियत्री आये

इस चक्कर मै उसने अनेक कवि सम्मेलन अपनी जेब से करवाये

कवि उस पर बुरी तरह मरने लगा

उसकी कविता पर कुछ ज्यादा ही बाह बाह करने लगा

उनका सानिध्य पाने की हर कोशिश करता

 किन्तु आई लव यू कहने से डरता

 उसके उपक्रम से कवियत्री को हुआ भान

 कवि की भावनाओं को दिया पूरा सम्मान

 कवियत्री ने भविष्य की संभावनाओ से उन्हें डराया

 वस्तुस्तिथि से अवगत कराया

आपको मुझसे हुआ प्यार

 आपका आभार

 ये बात आपके दिल मै आई

 मै न दूंगी बधाई

 चाहे आपको हो बिषाद

 कहूँगी मै न इरशाद

  क्योंकि जब समान आवेशित पिंड टकराते है

 तो तबाही लाते है

 अतः आप अपनी सोच को दें बिराम

  अन्यथा हमारा जीना होगा हराम

 आप है श्रेष्ठ कविबर

 न बने कवियत्रीबर

  अनर्गल बातें दिल मै, न लाइये

 हमारी नई कविता का लुफ्त उठाइये  

Dr.Ajay Khare Aahat

Views: 632

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on March 8, 2013 at 11:03pm

कवियित्री ने दो टूक जवाब दे अपने आप को सिद्ध कर दिया. बहुत सुन्दर रचना. दिली बधाई स्वीकारें.

Comment by मोहन बेगोवाल on March 7, 2013 at 11:09pm

आहट जी ,क्या बात है ?

Comment by Dr.Ajay Khare on March 7, 2013 at 4:03pm

dhanyabaad kushwaha ji

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 7, 2013 at 3:46pm

अब क्या हाल है 

सर जी बधाई 

कितनो को कविता पढवाई 

सादर अजय जी 

Comment by Dr.Ajay Khare on March 7, 2013 at 11:21am

sabhi adarniy ko sadhubaad

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 7, 2013 at 11:02am

कवि की सोच और कवियत्री का लाजवाब जवाब की रचना रुचिकर लगी, बधाई डॉ अजय खरे जी 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 7, 2013 at 7:26am

वाह वाह क्या सन्देश आपने पिलाई है!

कवि हो कर पछतावा तो नहीं आई है!

बहुत ही सुन्दर रचना!

Comment by ram shiromani pathak on March 6, 2013 at 7:38pm

क्योंकि जब समान आवेशित पिंड टकराते है

 तो तबाही लाते है

 अतः आप अपनी सोच को दें बिराम

  अन्यथा हमारा जीना होगा हराम

 आप है श्रेष्ठ कविबर

 न बने कवियत्रीबर

  अनर्गल बातें दिल मै, न लाइये

 हमारी नई कविता का लुफ्त उठाइये  

हाहाहा हाहाहा...हार्दिक बधाई इस हास्य रचना पर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 6, 2013 at 6:38pm

हाहाहा हाहाहा...

हार्दिक बधाई इस हास्य रचना पर.

Comment by राजेश 'मृदु' on March 6, 2013 at 6:35pm

हाहाहा सचमुच मजा आ गया आपकी कविता पढ़कर एक मुर्गी की ये हालत देखिए.. अर्ज किया है :

सैफ के आंगन आई मुर्गी, सीधी सरल मिजाज

छुरा पिजाता सैफ चहकता, बोला है आदाब

बोला है आदाब तुझे ऐ नूरे नजाकत

तू तो है महताब

रंग चंपई मस्‍त अदा है,तू चीज बड़ी नायाब

पलक झुका शर्माई मुर्गी, डूब गई एक ख्‍वाब

आंख खुली तो मरी पड़ी थी, पंख,चोंच सब साफ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service