आँखे चढ़ी -चढ़ी सी हैं
आज मेरी ......
लोग कहते हैं कि
मैंने शराब पी है .....
हाँ तेरी यादे
किसी नशे से कम भी तो नही
जब भी चढ़ता है नशा
तेरी यादो का मुझ पर
मेरी आँखों में उतर आता है
पानी बनकर .....
बरसती हैं आँखे मेरी
रात-दिन .....
जैसे बरसता है बादल
बरसात के मौसम में
बिना रुके , बिना थमे
और लोग समझते हैं
की मैंने शराब पी है……...!!!!!
Comment
आदरणीय,
आपने गलती पर ध्यान दिलवाया इसके लिए मैं आभारी हूँ आपकी , आगे से ध्यान रखूंगी की सब प्रतिक्रिया हिंदी में ही दूँ
हिंदी रचनाओं पर टिप्पणी और प्रति टिप्पणी हिंदी में ही हो ! हिन्दी के लिए देवनागरी लिपि का प्रयोग श्रेयस्कर होगा ।
Thanks ram shiromani pathak ji............
Respected Prachi mam
Thanks a lot for ur valuable comment.
bahot khoob sonam ji....hardik badhai
यादों के नशे में डूबी डूबी सी रचना... :)))))
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