चलो अच्छा हुआ ये भ्रम भी टुटा मेरा
वो हमे प्यार करते थे ये झूठ निकला
चलो अच्छा हुआ धोखा जो खा ही लिया
प्यार एतबार से होता है ये भी झूठ निकला
चलो अच्छा हुआ जो गम ही मेरे दामन में आया
कोशिश हमेशा कामयाब होती है ये भी झूठ निकला
चलो अच्छा हुआ जो मैं अकेला हो गया
दोस्त हर पल साथ होते हैं ये भी झूठ निकला
चलो अच्छा हुआ जो हमसे हाल-ए-दिल वो पूछ बैठा
अपने सब समझते हैं ये भी झूठ निकला
Comment
आदरणीय ब्रजेश कुमार जी आपका बहुत बहुत आभार व धन्यवाद।।
आदरणीय वंदना तिवारी जी सादर नमस्कार
आपने रचना के भावो को समझा और अपना अनमोल समय दिया इसके लिए दिल से आभार व धन्यवाद
आदरणीय सतवीर जी रचना को पसंद करने के लिए आभार व धन्यवाद
आदरणीय योगी सर नमस्कार
रचना को पसंद करने व अपनी कीमती समय देने शुक्रिया ...
आदरणीय राम सिरोमनि पाठक जी नमस्कार
समय देने के लिए आभार व धन्यवाद ...
आदरणीय विजय सर जी नमस्कार
कविता को समय देने के लिए धन्यवाद .....
आदरणीय प्राची मैम सादर नमस्कार,
आपकी प्रतिक्रिया हमेशा और अच्छा लिखने की प्रेरणा देती है, यूँ ही मार्गदर्शन करती रहियेगा।
अपना कीमती समय देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद मैम .....
चलो अच्छा हुआ जो मैं अकेला हो गया
दोस्त हर पल साथ होते हैं ये भी झूठ निकला
बहुत सुन्दर रचना!
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