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सत्य सनातन व्याकुल होकर देख रहा अपने उपवन को

सुप्रभात मित्रों , आप सभी के अवलोकन हेतु सत्य सनातन पर लिखी अपनी कुछ पंक्तियाँ | सादर


सत्य सनातन व्याकुल होकर देख रहा अपने उपवन को
खर -पतवार सरीखे मजहब खा जायेंगे सुन्दर वन को ||

मैंने ही सारी वशुधा को एक कुटुंब पुकारा था
मेरी ही साँसों से निकला शांति पाठ का नारा था ||
दया धर्म मानवता जैसी सरल रीत मैंने सिखलाई
परहित धर्म आचरण शिक्षा मैंने ही सबको बतलाई ||

क्या हालत कर दी हे मानव भूल गया क्यूँ अंतर्मन को
खर -पतवार सरीखे मजहब खा जायेंगे सुन्दर वन को ||

धरती , अम्बर , चन्द्र ,दिवाकर का सम्मान सिखाया मैंने
पेड़ , पुष्प जल -थल जंगल का कर सम्मान बताया मैंने ||
होम , हवन से घर- घर तेरे प्राण वायु को शुद्ध किया था
संयम ,नियम योग आसन से तन -मन को प्रबुद्ध किया था ||

सत्य अहिंसा छोड़ चला क्यूँ भूल गया क्यूँ वेद वचन को
खर -पतवार सरीखे मजहब खा जायेंगे सुन्दर वन को ||

मैंने कर्म बाँट कर सबको सामाजिक दायित्व बताया
गुण पर आधारित जीवन हो लोकमान्य नेतृत्व दिखाया
मर्यादा की रेखाओं में जीवन की भाषा समझाई
सदाचार की परिपाठी में सत्य दरश आशा बतलाई ||

मर्यादा अब गिद्ध बन गयी और आचरण बेचे तन को
खर -पतवार सरीखे मजहब खा जायेंगे सुन्दर वन को ||

मेरा मार्ग राम को भाया , रामराज्य परचम लहराया
योगेश्वर केशव ने जग को कर मेरा विस्तार सुनाया
सरल सुगम है मेरा ईश्वर कण कण में रहता है नश्वर
नहीं मिटा पायेगा मुझको कोशिश चाहे तू जितनी कर ||

जौहरी बन फिर परख मुझे , क्यूँ फेंक रहा मूरख कुंदन को
खर -पतवार सरीखे मजहब खा जायेंगे सुन्दर वन को ||.......... मनोज नौटियाल

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 16, 2013 at 11:10pm

भाई मनोज नौटियाल जी, आपकी प्स्तुत कविता तथ्यात्मक विन्दुओं को बखूबी साझा करती है.  कविता की पंक्ति-पंक्ति प्रमाण है. हृदय से बधाई स्वीकार करें.

आपसे अन्य रचनाओं की अपेक्षा है.

शुभकामनाएँ.

Comment by बृजेश नीरज on March 15, 2013 at 7:42pm

बहुत सुन्दर!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 15, 2013 at 3:17pm

सत्य सनातन पर एकत्व का भाव लिए सुन्दर प्रस्तुति.. ये विविधताएं उस परमतत्व ने नहीं बनाईं, उसके लिए तो सब समान है सौहार्द्मय और सुन्दर संतुलन में है..ये भिन्नताएँ, अलगाव, सब अहंकार के आधीन हुए मनस और बुद्धि की दें है ...

सुन्दर भावों को साँझा करती इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई मनोज नौटियाल जी.

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