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रात ना कटे तो तुम ऐसा करना ....

रात ना कटे तो तुम ऐसा करना ..
काली लम्बी इस रात के 3 टुकड़े करना

इक टुकडा काट के आसमान को दे देना

फिर दूसरा टुकडा दे देना तुम चाँद को
बचा हुया वो एक आखिरी टुकडा

तुम अपने पास अपने सरहाने रख लेना,

लेटे लेटे उसमे देखना बीता वक़्त हमारा
वो मिलना ,वो जीना,वो बिछड़ना हमारा
इस लम्बे से सफ़र में वो छोटा सा टुकडा
देखना यूहीं पिघल के खुआब हो जायेगा

अभी बिछड़एंगे की सूरज उग आयेगा
मिलते बिछड़ते खुआब बनाते बनाते

रात का लम्बा सा सफ़र कट जायेगा
ऐसा ही करना जो नींद न आये
लम्बी सी रात के कर टुकड़े -टुकड़े

टुकडों में मुझसे मिल के रात काट लेना
और टुकड़ा टुकड़ा मुझसे मिल लेना ........!

रात ना कटे तो तुम ऐसा करना ......................

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Comment

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Comment by राजेश शर्मा on March 8, 2011 at 8:41pm
बहुत अच्छा लिखा है वीनस जी , बधाई .
Comment by rajendra kumar on March 3, 2011 at 8:16am
बहुत खूब...बेहतरीन काव्य कृति हेतु बधाई
Comment by Ajay Singh on January 29, 2011 at 9:44am

veeeeeeeeeeeeeeeeery

goooooooooooood

Comment by Sudhir Sharma on November 19, 2010 at 12:03am
बहुत खूब...क्या बात है

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on November 17, 2010 at 2:31pm
बेहतरीन बेहतरीन बेहतरीन

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on November 16, 2010 at 10:04pm
बेहतरीन बेहतरीन बेहतरीन .....

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 16, 2010 at 8:25pm
फिर दूसरा टुकडा दे देना तुम चाँद को
बचा हुया वो एक आखिरी टुकडा,

एक बेहतरीन ख्यालात को आपने टुकड़ों मे बाँट कर बड़े ही खूबसूरती से पिरोई है, बेहतरीन काव्य कृति हेतु बधाई |

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