हे प्रातः स्मरणीय श्री कृष्ण,
तेरा जीवन भी है जैसे-
एक पहेली |
तेरे कृत्य को-
तेरे दृश्य को -
तेरे सन्देश को,
महान दार्शनिक -
भी आज तक
समझने की कौशिश
ही तो करते रहे है |
माँ यशोदा को, मुहं में-
मिटटी दिखाने की जगह
ब्रह्माण्ड दिखा दिया,
सुदामा को, दोमुट्ठी तंदुल खाकर-
दो लोक का स्वामी बना दिया |
देवो के देव महादेव तक को-
अपने साथ गोपी बन-
नृत्य करने का सुखद
सोपान दे दिया |
भरी सभा में असहाय से-
भीष्म पितामह, गुरु द्रौण और-
विदुर थे मूक दर्शक से,
जब पुकारा द्रौपदी ने-
बचाया उसे चीर हरण से|
स्वजनों से युद्ध करने से
मना करने पर, अर्जुन को-
ब्रह्मांड दिखलाया अपने मुख में,
और, गीता का सन्देश दे-
कर्म ही प्रधान बताया जीवन में|
अर्जुन को दिए गीता के सन्देश से-
समूचे विश्व को सदा सदा के लिए
अनुपम उपदेश देकर,
भारत को विश्व गुरु, और -
स्वयं को कृष्णं वन्दे जगतगुरु,
के रूप में स्थापित कर दिया |
गोपियों का माखन खाकर,
उनके स्नान करते कपडे चुराकर,
नटखट कन्हैया कहलाये ।
पानी लाते गगरी फोड़कर,
उनके साथ होली खेलते-
चोली भिगोकर,
अपनी चंचल छवि दिखा,
सबके मन को भाये ।
उन्हें मन्त्र मुग्ध कर-
जनम सफल कर दिया |
कालिदेह में जहरीले नाग को,
और, आपको मारने-
कंस द्वारा भेजी पूतना को-
जहर लगे स्तन से-
दुग्धपान कराने पर,
उनका उद्धार कर दिया |
राधा को अपनी बांसुरी से,
सौलह हजार रानियों को,
सह्रदयता से, आल्हादित किया |
उद्धव के ज्ञान के गर्व का-
गाँव के गोपियों के हाथो; और-
पांड्वो की वीरता के गर्व को-
जंगल में भीलों के हाथो
मान मर्दन कर, घमंड हर-
अहसास करा दिया |
और तो और,कलियुग में भी-
आपके प्रेम में मगन-
मीरा के लिए स्वयं ने
जहर पान कर लिया,
वही गरीब नरसी मेहता
का मायरा भरने आकर
उन्हें तो उपकृत किया ही,
सभी भक्तो में पुनः भाव
भर दिया |
धन्य है हे श्रीकृष्ण योगेश्वर!
अद्भुद है आपके जीवन की झांकी,
तेरे कृत्य को, तेरे उपदेश को,
तेरे मन के भाव को,
बिना तेरी भक्ति भाव के,
समझ सकता नही कोई,
बड़े बड़े ग्यानी ध्यानी,
दार्शनिक भी नहीं |
_
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला
Comment
भगवान् श्री कृष्ण तो सभी सह्रदयी सुधि भक्तो पर सदैव अपार कृपा बरसाते है | निश्चित ही वे परम सुख के सागर है
रचना पर सापेक्ष टिप्पणी के लिए आपका हार्दिक आभार
सही कहाँ आपने श्री ब्रिजेश सिंह जी, जगदगुरु श्री कृष्ण द्वारा दिए गए गीता में उपदेश धर्म ग्रन्थ नहीं वरन
समस्त संसार के लिए प्रेरणास्त्रोत है, जीने अनुसरण से विश्व का कल्यांग हो सकता है | उनकी जीवन झांकी
में समस्त प्राणी मात्र को कुछ न कुछ प्रभिवित् करने को मिलता है | उनकी अद्भुत लीलाओं से आजभी मन
मस्तिष्क में नृत्य के भाव सहज ही आते है और गोपियों की तरह मन मयूर नाच उठ्ता है | रचना को पसंद
कर रचना का मान बढ़ने के लिए आपकर हार्दिक आभार
लीलामयी भगवान श्री कृष्ण पर रचित रचना पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार श्री राम शिरोमणि जी
श्रीकृष्ण ही ऐसे देव हैं जिन्होंने कर्म की प्रधानता को स्थापित किया। जहां उनके जीवन दर्शन में चमत्कार देखने को मिलते हैं वहीं साधारण मनुष्य सा प्रेम भी। उनके चमत्कार, उनका रास, उनका राक्षस वध सब कर्म की ओट में आकर्षित करता है चमत्कृत नहीं। तभी उनका गीता ज्ञान किसी धर्म विशेष का धर्म ग्रन्थ नहीं वरन समस्त विश्व के लिए एक प्रेरणास्रोत है।
जय श्रीकृष्ण!
आदरणीय लक्ष्मण सर भगवान श्री कृष्ण जी के जीवन की झांकी की उम्दा चित्रण किया है आपने ....
हार्दिक बधाई
हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोरे जी, भगवान् श्री कृष्ण के जीवन चरित्र को उनकी लीलाओं के माध्यम से
भी समझ पाना आसान नहीं है | उनकी दार्शनिक, आध्यात्मिक झांकी के दर्शन करने हेतु बड़े बड़े विद्वानों ने बहुत
कुछ लिखा है | उनपर सूरदास जी, रसखान जी जैसे माहा कवियों से लेकर राष्ट्र कवी रामधारी सिंह दिनकर ने
याधोधरा मह्काव्य लिख दिया | उनकी लीलाओं के कुछ बिंदु बताने की मेरी कौशिश मात्र है | सादर
भगवान श्री कृष्ण जी के जीवन की झांकी प्रस्तुत करने के लिए बधाई।
सादर,
विजय निकोर
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