For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122,       2122,      2122,   2

भूख से बिल्ली परेशां जो रही होगी

रोटियां बासी तभी तो खा गयी होगी

 

हौसले परिंदों के भी तो पस्त होते हैं

लाख उड़ने की कला उनमें रही होगी

 

कोयलों की कूक गायब हो गयी है अब

साथ ही में उन दरख्तों के खो गयी होगी

 

आपका पहलू जरा सा जो हवा में था

ये वही खुशबू यहां तक आ रही होगी

 

ये गुंचे भी सरनिगूं होने लगे हैं जो

वो सबा भी बात तेरी कर रही होगी

Views: 432

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on April 17, 2013 at 10:19am

आदरणीय सौरभ जी, आपका आभार! मैं आपकी टिप्पणी की ही प्रतीक्षा में था क्योंकि आपकी टिप्पणी सदैव मेरी मार्गदर्शक रहती हैं।
एक बार फिर आपका आभार!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 16, 2013 at 11:40pm

भूख से बिल्ली परेशां जो रही होगी
रोटियां बासी तभी तो खा गयी होगी... . मतला भावुक शब्दों में रंग का तो लग रहा है लेकिन बिल्ली  के साथ बासी रोटी  कंट्रास्ट पैदा नहीं कर पा रही है.

 

हौसले परिंदों के भी तो पस्त होते हैं
लाख उड़ने की कला उनमें रही होगी.. .. वाह वाह ! शेर से निस्सृत इस उस्तादाना असर के लिए ढेर् सारी दाद कुबूल करें, भाई बृजेशजी.. .

 

कोयलों की कूक गायब हो गयी है अब
साथ ही में उन दरख्तों के खो गयी होगी.. अंदाज़ बहुत कुछ कहता हुआ है. कोयल की कूक  और खो रहे पेड़  दिल को कचोट रहे हैं.

 

आपका पहलू जरा सा जो हवा में था
ये वही खुशबू यहां तक आ रही होगी.. ..  ओह्होह ! .. .

ये गुंचे भी सरनिगूं होने लगे हैं जो
वो सबा भी बात तेरी कर रही होगी.. ... .. वाह !  शेर की मुलामियत भा गयी.

आपका यह प्रयास दिल को भा गया भाई. सतत प्रयासरत रहें. आपकी कोशिश रंग लायी है.

बधाई .. .

 

Comment by बृजेश नीरज on April 10, 2013 at 6:01pm

आदरणीय रक्ताले जी आपका आभार!

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 10, 2013 at 8:26am

कोयलों की कूक गायब हो गयी है अब

साथ ही में उन दरख्तों के खो गयी होगी.............बहुत खूब.

आदरणीय बृजेश नीरज जी सादर, बहुत सुन्दर भाव भरे अशार. बहुत उत्तम. दिली दाद कुबुलें.

Comment by बृजेश नीरज on April 8, 2013 at 9:53pm

आदरणीया मीना जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by Meena Pathak on April 8, 2013 at 7:51pm

बहुत सुन्दर .. बधाई 

Comment by बृजेश नीरज on April 6, 2013 at 1:59pm

आदरणीया परवीन जी आपका आभार! 

Comment by Parveen Malik on April 6, 2013 at 1:05pm

बृजेश जी बहुत ही बढ़िया ...

Comment by बृजेश नीरज on April 5, 2013 at 10:15pm

राम शिरोमणि जी हौसला अफज़ाई के लिए आपका बहुत आभार!

Comment by ram shiromani pathak on April 5, 2013 at 9:44pm

बहोत खूब आदरणीय  हार्दिक बधाई स्वीकारे  /////////

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
22 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
yesterday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service