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आदरणीय सौरभ जी,
आपकी टिप्पणी मेरे लिए लेखन की सार्थकता का मापदण्ड है। आपका मार्गदर्शन मेरे लिए मील का पत्थर होता है। आपका आभार!
मेरा एक अनुरोध है कि नई कविता की विधाओं पर यहां चर्चा आयोजित होनी चाहिए जिससे कि छंद काव्य की तरह इस विधा में भी प्रकाशित रचनाओं का स्तर और ऊंचा उठ सके।
सादर!
विलम्ब से रचना तक आने के लिए क्षमा. मैं दो सप्ताह से दौरे पर होने के कारण ओबीओ पर प्रस्तुत हुई सभी रचनाओं पर एक-एक कर आ पा रहा हूँ.
भाई बृजेशजी, आपकी इस रचना को मैं हृदय से पढ़ गया. ऐसे कथ्य कई रचनाकार दैनिन्दिनी-रचना का अगला प्रारूप मानते हैं और रचते हैं जैसे कि अज्ञेय. आपने त्रिलोचन का नाम साझा किया है.
जैसाकि मैं समझ पा रहा हूँ, मैं इस विधा को आकाशी ऊँचाइयों पर जाते देखा है बच्चन की आत्मकथाओं के चारों भागों में. बच्चन ने आत्मकथा विधा को एक अलहदा आयाम ही नहीं दिया बल्कि आत्मकथात्मकता को उपन्यास का जामा दे कर गद्य साहित्य में क्रांतिकारी एवं अभिनव प्रयोग किया है.
आपकी प्रस्तुत रचना भाव-शब्दों का अनूठा संचयन है. हार्दिक धाई स्वीकार करें, भाईजी.
आदरणीय रक्ताले साहब मुझे भी ऐसा ही भान हो रहा था कि शायद इस विधा पर यहां चर्चा नहीं हुई है इसीलिए अपने अभी तक अध्ययन के आधार पर इस विधा की एक रचना पर काम करने का प्रयास किया तथा यहां पोस्ट की ताकि इसके गुण दोष से मैं अवगत हो सकूं तथा विधा पर भी मुझे कुछ मार्गदर्शन प्राप्त हो सके परन्तु शायद सुधी जनों की व्यस्तता के कारण मुझे अद्यतन यथोचित मार्गदर्शन प्राप्त नहीं हो सका या फिर शायद मैं अपने प्रयास में सफल नहीं रहा।
आपने जो हिम्मत बंधाई है मुझे उसके लिए आपका आभार!
आदरणीय बृजेश नीरज जी सादर, शायद मंच पर इस तरह का गद्य काव्य पढ़ने का प्रथम ही अवसर है. जब जानता नहीं तो कुछ कह भी नहीं सकता. हाँ मगर प्रवाह पूर्ण सुन्दर रचना है. इसकी आप अवश्य बधाई स्वीकारें.
आदरणीया मलिक जी आपका बहुत आभार!
बृजेश कुमार सिंह जी सादर ,
मन की व्यथा को बहुत खूब व्यक्त किया है .. सुन्दर चित्रण .... बधाई !
कुन्ती जी आपका आभार!
मै क्या बताऊँ आपको ये मनोव्यथा जो आपने व्यक्त की है यह हर पाठक के मन में उतर जाएगी . बहुत सफ़ल चित्रण है.नीरज जी .
आपको बहुत बहुत धन्यवाद!
नीरज जी बहुत सुन्दर ...अच्छे भावों और शब्दों को समेटे अच्छा लेख ..जय श्री राधे आभार प्रोत्साहन हेतु
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