देखो जबरदस्त होसला अफजाई ,
बैरी बने बादल और आग चिराग ने लगाई ,
करेंगे अपने बूते , खामोशी से संवाद ,
चौंकाना चाहती हे , दिल से , तन्हाई ,
आशा की लौ मे , मेरी वापसी के संकेत ,
दे ही देगी , तेरी चौतरफ़ा रुसवाई ,
कगार पे आ पहुँचा , अब रोमानी पहलू ,
महज संजोग नहीं है , तेरी बेवफ़ाई ,
थाम ली कमान , आख़िरकार मुहानो की हमने ,
फूटते हुए लावो की , अब मत देना दुहाई ,
नहीं हे ज़रूरत अब , साफ़गोई से पेश आने की ,
आख़िर दुनिया भी तो देखे , तेरी परछाईं ,
अश्क
"मौलिक व अप्रकाशित
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