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अंतर्द्वंद्व // गणेश जी "बागी"

ठगती है,
बार बार,

अंतरात्मा,
आश्वासनों से,
ठीक हो जाएगा,
सब ठीक हो जाएगा,
एक अंतर्द्वंद्व,
सत्य असत्य,
दिल दिमाग़ के मध्य,
नही डिगेगा,
कभी नही डिगेगा,
चलते जाना है,
सत्य के मार्ग पर,
जो घटित होना है,
हो जाय,
कौन अमर यहाँ,
कोई नही,
कोई भी तो नही,
फिर डर कैसा,
उस अहंकार से,
जो क्षण भंगुर है,
चल हट !
चलने दे,
कार्य पथ पर बढ़ने दे,
वो सामने देख
डर के आगे,
जीत है |

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

पिछला पोस्ट => लघुकथा : ईलाज / गणेश जी बागी

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 14, 2013 at 3:55pm

सराहना हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय रकताले साहब । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 14, 2013 at 3:54pm

आशीर्वाद हेतु आभार आदरणीय विजय निकोर जी । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 14, 2013 at 3:53pm

सराहना हेतु आभार अनुज राम शिरोमणि जी । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 14, 2013 at 3:53pm

उत्साहवर्धन हेतु कोटिश: आभार आदरणीया विजया श्री जी ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 14, 2013 at 3:51pm

आशीष वचन हेतु आभार आदरणीय लडिवाला जी । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 14, 2013 at 3:50pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी, आपकी टिप्पणी पा मन हर्षित है, उत्साहवर्धन हेतु आभार । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 14, 2013 at 3:48pm

आदरणीया कुंती जी, आपसे सराहना पाकर मन आनंदित हुआ जा रहा है,बहुत बहुत आभार । 

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 14, 2013 at 2:32pm

आदरणीय बाग़ी जी सादर प्रणाम, सत्य की सदैव जीत है इस बात को प्रशस्त करती सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by vijay nikore on April 14, 2013 at 2:03pm

बागी जी,

 

इस प्रेरणादायक रचना के लिए साधुवाद।

सादर,

विजय निकोर

Comment by ram shiromani pathak on April 14, 2013 at 1:30pm

कौन अमर यहाँ,
कोई नही,
कोई भी तो नही,
फिर डर कैसा,
उस अहंकार से,
जो क्षण भंगुर है, ////

आदरणीय गणेश सर सादर प्रणाम ! यथार्थ से अवगत कराती आपकी यह रचना दिल को छू गई !बधाई आदरणीय

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