भारी भरकम काया,है बड़ी विचित्र माया ,
खुद खाती ठूसकर ,मुझपे चिल्लाती है !
हुआ वजन सौ किलो ,फिर भी दम ना लेती ,
गुंडई तो देखो इसे ,डाइटिंग बताती है !!
खर्राटे जब लेती है,मानो भूकंप आ गया ,
पड़ोसियों की भी तब ,नींद टूट जाती है !
अपने को अल्पहारी ,मुझे कहती है पेटू ,
रसोई का आधा खाना,खुद चाट जाती है !!
राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित
Comment
hardik aabhar priyankaa ji///apko sahane me safal to likhana bhi safal
ha ha ha khuub Ram ji
hardik aabhar adarneeyaa sarita ji
hardik aabhar adarneey ashok sir
hardik aabhar bhai manoj shukla ji
वाह राम जी राम राम
भाई राम शिरोमणि जी सादर, सुन्दर प्रयास हुआ है हास्य भी है मगर कार्य शेष है.सतत प्रयास करें. इस सुन्दर प्रयास के लिए बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.
आदरणीय भाई केवल प्रसाद जी हार्दिक आभार उत्साह बढ़ाने के लिए .सादर ///////
आदरणीया प्राची मैम आप का आशीर्वाद मिला अपार प्रसन्नता हुई !
प्रणाम सहित हार्दिक आभार
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