For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चलो  मुसाफिर  देख लो , कहाँ होगा गुजार |
ना दे सहारा कोई   , फिर से करो विचार |
खंजर मारें  पेट में , दूर से  मेहमान |
 देख  चिच्लाते चीखते, खुश हों  बेईमान |
अब  किस पर यकीन करे, अपना करता  घात |
जब अपना जहां छूटा , कौन सुनेगा बात |
आदमी बनता  बैरी , हरदम देखे राह | 
जाल बिछाये राह में , रख मारन की चाह |
शिकारियों को रोक लो , करते अत्याचार |
निर्दोषी हिरन घूमें , करते झपट शिकार |
कहीं शेर हमला करे , कहीं झपटता  बाज |
बेबस प्राणी क्या करे , किस तरह रखे लाज |
किस पर कब बिजली गिरे , बिन आंधी तूफ़ान |
मिल जाये  किस मोड़ पर , मानव बन  हैवान |
देव नहीं बचायेगें , भूलो पहली  बात |
अबला बलशाली बनो , दो दुश्मन को मात |
आग दहके जंगल में , डर से भागते  सब |
सब बैठे विनती करें , आकर बचाओ रब |
भीड़ भरे बाजार में , दहशत की  अफवाह |
वर्मा अब जायें कहाँ , आग भरी है राह |
श्याम नारायण वर्मा 

Views: 286

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 23, 2013 at 5:26pm

आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सादर बहुत सुन्दर रचना और रचना क्या सभी सुन्दर दोहे कहे हैं आपने यदि इसकी प्रस्तुति भी उसी प्रकार होती तो और भी सुन्दर लगता मुझे लगता है दो पंक्तियों को छोड़ दूँ तो सभी में दोहे के शिल्प को साधा गया लगता है. और भाव की बात करूँ तो वह भी बहुत ही सुन्दर. बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.

Comment by Abhinav Arun on April 22, 2013 at 2:02pm
आदमी बनता  बैरी , हरदम देखे राह | 
जाल बिछाये राह में , रख मारन की चाह |
शिकारियों को रोक लो , करते अत्याचार |
निर्दोषी हिरन घूमें , करते झपट शिकार |
कहीं शेर हमला करे , कहीं झपटता  बाज |
बेबस प्राणी क्या करे , किस तरह रखे लाज |
किस पर कब बिजली गिरे , बिन आंधी तूफ़ान |
मिल जाये  किस मोड़ पर , मानव बन  हैवान |
बहुत सुन्दर भाव और विचार प्रधान रचना श्री श्याम जी हार्दिक बधाई आपको इस सुन्दर सृजन पर !!
Comment by coontee mukerji on April 22, 2013 at 3:46am

बुरे तत्वों   का इस प्रकार समाज में कंकड़ पत्थर चलाना .....इंसान जाए तो जाए कहाँ ? आपने एक बहुत ही कड़वे सत्य की ओर इशारा

किया है .श्याम नारायणजी  , बहुत बहुत बधाई  .सादर / कुंती .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
Saturday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service