For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Shyam Narain Verma's Blog (60)

अबला सहे हर अत्याचार |

घर चलता है नर नारी से , नर का चले  सारा अधिकार |
 घर का  काम करे सब  नारी , फिर भी रहे नर से  लाचार | 
 
संग  रहे भाई  बचपन में  , बात  बात में देता ताना |
एक दिन ससुराल जाओगी , वहाँ होगा   तेरा ठिकाना |
सदा  कहा  भाई की होती , बहन का नहीं  चले बहाना |
रोकर चुप हो जाती बहना , दबा लेती आंसू की धार…
Continue

Added by Shyam Narain Verma on June 1, 2019 at 2:30pm — No Comments

जो पले हैं उसी छाया में |

माता  की ममता की तुलना  , कभी कोई कर सकता नहीं |
जग में जो खुशी माँ से मिले  ,  कोई और  दे सकता नहीं |
हर कोई माँ से ही आया ,        मां बिना कोई आया नहीं |
ये ज़िंदगी जो  माँ से मिली  , कोई   कर्ज  भर पाया नहीं |
प्रसव में  जो पीड़ा   माँ सहे , पिता उसे कहाँ बाँट पाये |
सटा कर रखे जो सीने से ,  ये मजा शिशु को  कहाँ आये | 
अपने गीले में…
Continue

Added by Shyam Narain Verma on June 14, 2018 at 3:51pm — No Comments

जब ये तपन दूर हो जाये |

दहक  रहा हर कोना कोना   ,  सूरज बना आग का गोला |
मुश्किल  हुआ निकलना घर से ,  लू ने आकर धावा बोला |
तर बदन होता पसीने से   ,  बिजली  बिना तरसता   टोला  |
बाहर कोई कैसे जाये    , विकट   तपन  ने जबड़ा  खोला |
 
पशु पक्षी ब्याकुल गरमी से , जान बचाते हैं   छाया में |
चले राही लाचार होकर    ,  आग लगी है  जब काया में  |
तेज…
Continue

Added by Shyam Narain Verma on May 26, 2018 at 3:30pm — 2 Comments

काल चले ऐसी ही चाल |

एक  एक  कर  काटे   डाली  , ठूंठ खड़ा  मन  करे  विचार |
बीत  गए  दिन   हरियाली  के  ,  निर्जन  बना  पेड़ फलदार |
दिन भर  चहल पहल रहती थी ,  जब  होता था    छायादार | 
पास   नहीं   अब    आये  कोई , सूखा   तब   से  है  लाचार |
भरा  रहा जब  फल फूलों  से ,  लोग  आते तब  सुबह शाम |
कोई  खाये   मीठे  फल को  ,  कोई   पौध   लगा   ले दाम  | 
रंग…
Continue

Added by Shyam Narain Verma on May 4, 2018 at 2:30pm — 8 Comments

भाई बैरी से मिलके भाई को मार डाले |

२२     २२    २२    २२   २२   २२  २२ 
भाई  बैरी  से मिलके भाई को मार डाले |
जिस ने नाजों से पाला उसको ही जार डाले | 
अनबन गर कभी हो जाये बोले ना  भाई से     , 
जलता है दिल में  जैसे…
Continue

Added by Shyam Narain Verma on June 30, 2017 at 6:14pm — 3 Comments

बेटी

किसी से कम रहो ना  बेटी  , पढ़ो बढ़ो  तुम आगे जाओ  |
अडिग रहो अपने ही पथ पर ,  तुम कदम ना पीछे हटाओ  |
नाम करो अपना इस  जग में , बढ़ो  सुता  तुम कदम बढ़ाओ |
हर मुश्किल में रहे हौसला , हर गम सहकर बढ़ते जाओ   |…
Continue

Added by Shyam Narain Verma on June 3, 2017 at 4:39pm — 4 Comments

दो चार कहीं लगते पौधे , रोज कटते हैं पेड़ हज़ार |

दो चार कहीं लगते  पौधे , 
रोज कटते हैं  पेड़ हज़ार |
वन झाड़ी का होत सफाया , बाग कानन  का  मिटता नाम |
कहीं  पेंड नज़र  नहीं आते  ,    कहाँ   जा करे  राही विश्राम…
Continue

Added by Shyam Narain Verma on August 9, 2016 at 2:26pm — 10 Comments

देश को आगे बढ़ाओ नौजवानों बढ़ चलो तुम |

२१२२       २१२२     २१२२         २१२२
देश को आगे बढ़ाओ  नौजवानों बढ़   चलो तुम   |
सो रहे जो आलसी बन…
Continue

Added by Shyam Narain Verma on May 25, 2016 at 5:21pm — 4 Comments

कटे नहीं जीवन का तार ।

फूल बिना भौंरे का जीवन ,  जग में   है  कितना लाचार ।
जब  बाग वन कहीं खिले कली , आ जाये बिकल बेकरार ।
रंग रूप ना  दूरी देखे ,     नैनों    से    करता    इजहार ।
खार वार कुछ भी ना देखे ,    जोश     में  आये बार…
Continue

Added by Shyam Narain Verma on December 30, 2015 at 12:30pm — 1 Comment

सोच सोच जो रह जाती |

लावनी छंद |

नारी की असीम ताक़त है , मिट्टी को करती सोना |

जंगल में मंगल कर देती , सारे रश्मों को ढोना |

बनती बेटी ससुराल बहू , माँ को छोड पड़े रोना |

अजनवी घर अपना बनाती , हर सुख दुःख पड़े ढोना |

नारी जीवन की धारा है , साथ साथ साथ निभाती |

खुशी खुशी बच्चों को पाले , सबके संग घर चलाती |

घरनी बिन घर सूना लागे , जब छोड़ मायके जाती |

आये जब घर आँगन खिलता , जीवन में खुशियाँ लाती |

पति जाये जब गलत राह पर , विनय कर उसे समझाती |

पर अपने को अबला समझे…

Continue

Added by Shyam Narain Verma on December 12, 2015 at 6:00pm — 2 Comments

जो ख़ुशी से दान दे वो ग़म कभी करता नही है।

२१२२ २१२२ २१२२ २१२२ - रमल मुसम्मन सालिम

जो ख़ुशी से दान दे वो ग़म कभी करता नही है।

जो किसी पे जान दे वो आह भी भरता नहीं है ।

है अगर दिल में ख़ुशी तो चैन से सोते सभी हैं,

गम समाया है कहीं तो नींद भी भरता नहीँ है ।

हार हो या जीत हो ये तो कहीं वश में नहीं है ,

दिल लगाकर छोड़ देता वो कभी डरता नहीं है।

राह में चलते हुए भी घर बसा लेते कहीं भी ,

रेत का घर जब गिरे ग़म कोई भी हरता नहीं है ।

फूल हो जब डाल पे झूमे हवा में हर ख़ुशी में ,

तोड़ कर कोई रखे जब आह…

Continue

Added by Shyam Narain Verma on November 21, 2015 at 4:30pm — 2 Comments

जब खुशी हो पास आये ग़म पड़े दिल तोड़ जाये |

२१२२ २१२२ २१२२ २१२२ - रमल मुसम्मन सालिम
ज़िंदगी     कैसे चले   जब साथ कोई छोड़ जाये | 
जब खुशी हो पास आये ग़म पड़े दिल तोड़ जाये | 
दूर का जब हो  सफर तब  आसरा  सब  ढूढ़ते हैं…
Continue

Added by Shyam Narain Verma on May 19, 2015 at 3:47pm — 10 Comments

इस जिंदगी का क्या भरोसा ये मुद्दा है गौर का |

२२१२ २२१२ २२१२ २२१२ - रजज मुसम्मन सालिम
कोई दबा घर में कहीं      आशा लगाये और का |
इस  जिंदगी का क्या भरोसा ये मुद्दा है गौर का |
बारिश कहीं आँधी कहीं आकर गिराये घर नगर …
Continue

Added by Shyam Narain Verma on April 29, 2015 at 3:01pm — 11 Comments

रेत की दीवार वो कुछ ही पलों में ढह गया |

२१२२ / २१२२/ २१२२/ २१२
राह चलते दिल मिला फिर याद बनकर रह गया | 
ख़्वाब  जो देखा कभी वो अश्क बनकर बह गया |
रात     बीती   चांदनी  में खाब  आँखों  में  लिये…
Continue

Added by Shyam Narain Verma on March 31, 2015 at 4:38pm — 6 Comments

उमर तनहा गुजर जाये सहारा ढूढते जग में ,

१२२२ १२२२ १२२२ १२२२ - हजज मुसम्मन सालिम
चमन में फूल खिलते हैं खुशी का राज होता है |
ख़ुशी में झूमते  भौंरे  मजे  से  काज होता है |
खिले जब फूल डाली में नजारा ही बदल जाये…
Continue

Added by Shyam Narain Verma on March 23, 2015 at 12:15pm — 12 Comments

चाहिये गंगा नहाना जा नहाते गंदगी में ,

२१२२ २१२२ २१२२ २१२२ - रमल मुसम्मन सालिम
छोड़ कर आतंक का दर नेक कोई काम करते |
जान  लेने  के सिवा सारे जहाँ में नाम करते |
लोग जो आये जहाँ में  चाँदनी सब के लिए है ,…
Continue

Added by Shyam Narain Verma on March 17, 2015 at 3:03pm — 14 Comments

हक़ के लिये लड़ते सभी झगड़ा कभी थमता नहीं |

११२१२      ११२१२       ११२१२       ११२१२     कामिल - मुतफ़ाइलुन 
हक़ के लिये लड़ते सभी झगड़ा  कभी थमता नहीं | 
शक है वहीँ डर है कहीं प्रिय   पास है समता  नहीं | 
जब साथ है हर बात है कटु…
Continue

Added by Shyam Narain Verma on March 13, 2015 at 12:03pm — 17 Comments

मौसम कहाँ जाये बदल जानें कहाँ बरसात हो |

२२१२   २२१२   २२१२  2212
मौसम  कहाँ जाये  बदल जानें कहाँ बरसात हो |
दहशत भरे माहौल में जाने  कहाँ  पर  घात  हो |
कैसे  करे दोस्ती कहीं  जा कर किसी भी  देश में ,…
Continue

Added by Shyam Narain Verma on March 11, 2015 at 2:30pm — 10 Comments

ग़ज़ल: खोह घाटी का सफर ....

२१२२   २१२२  २१२२ २१२२ 
कामयाबी रंग लाये  तब  जमाना पास आये |

रंज  बैरी भूल   जाये  हाथ थामे  रास  आये |

पात ना आये अगर डाली कहीं  सूखी हुई  हो  , 

फूल डाली पर खिले जैसे  नजारा खास आये |…

Continue

Added by Shyam Narain Verma on March 3, 2015 at 1:00pm — 12 Comments

मिले जब कामयाबी लोग मिलकर साथ चलते हैं |

१२२२   १२२२  १२२२ १२२२ 
नज़र  के फेर में कितने  फ़साने रोज  बनते हैं |

कहीं राधा कहीं  मोहन बने   लाचार  जलते हैं |

नज़ारा  और होता है  खिले जब  फूल डाली में  ,

कहीं खुशबू…

Continue

Added by Shyam Narain Verma on February 18, 2015 at 5:30pm — 13 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"सीख ...... "पापा ! फिर क्या हुआ" ।  सुशील ने रात को सोने से पहले पापा  की…"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आभार आदरणीय तेजवीर जी।"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।बेहतर शीर्षक के बारे में मैं भी सोचता हूं। हां,पुर्जा लिखते हैं।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। चेताती हुई बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लगता है कि इस बार तात्कालिक…"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
" लापरवाही ' आपने कैसी रिपोर्ट निकाली है?डॉक्टर बहुत नाराज हैं।'  ' क्या…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। उम्दा विषय, कथानक व कथ्य पर उम्दा रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। बस आरंभ…"
Friday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service