२१२२ २१२२ २१२२ २१२२ |
देश को आगे बढ़ाओ नौजवानों बढ़ चलो तुम | |
सो रहे जो आलसी बन साथ लेकर चढ़ चलो तुम | |
यों जवानी ना गुजर जाये नशे में होश खोकर , |
ना समझ का सोच बदलो काम ऐसा गढ़ चलो तुम | |
पास ना आये बुढ़ापा जोर ऐसा आजमाओ , |
काम से कोई डरे ना चेहरा वो पढ़ चलो तुम | |
दूर जाते हैं नशे में छोड़ कर घर बार सारा , |
लत छुडादो नाश वाला लॉग ऐसा मढ़ चलो तुम | |
घर रहे या नौकरी में देश सेवा हो हमेशा , |
माँ कहीं भूखी मरे वर्मा कभी ना गढ़ चलो तुम | |
श्याम नारायण वर्मा |
मौलिक व अप्रकाशित | |
Comment
अच्छा प्रयास हुआ है आदरणीय |
आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सादर, अच्छा प्रयास है आपका गजल पर. आपके लगभग हर शेर में 'ना' का प्रयोग हुआ है.जबकि शायर तो इस पर एतराज करते हैं. देख लें.
यों जवानी ना गुजर जाये नशे में होश खोकर ,
ना समझ का सोच बदलो काम ऐसा गढ़ चलो तुम |.............नासमझ का/की सोच बदलो //काम ऐसा गढ़ //चलो तुम. गढ़ना अर्थात किसी वस्तु को तराशकर तैयार करना, काम को कैसे गढ़ा जाएगा ?देख लें. सादर.
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