For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

काल चले ऐसी ही चाल |

एक  एक  कर  काटे   डाली  , ठूंठ खड़ा  मन  करे  विचार |
बीत  गए  दिन   हरियाली  के  ,  निर्जन  बना  पेड़ फलदार |
दिन भर  चहल पहल रहती थी ,  जब  होता था    छायादार | 
पास   नहीं   अब    आये  कोई , सूखा   तब   से  है  लाचार |
भरा  रहा जब  फल फूलों  से ,  लोग  आते तब  सुबह शाम |
कोई  खाये   मीठे  फल को  ,  कोई   पौध   लगा   ले दाम  | 
रंग बिरंगे खग आ आ कर ,   गीत   सुना     करते   आराम |  
दूर   दूर से    राही    आकर ,  बैठ   छाया  करते   विश्राम |
आया  रोग  सुखाया    सारा ,  बदल   दिया    ऎसी  हालात |
 सोच सोच   ग़म लगा सताने   , उदासी में  कटे  दिन रात |  
सूख सूख   गिरने लगे   पत्ते ,  पहले की   बदल   गई बात |
जलन  के लिए   लगे काटने ,  जिसकी   आनी  थी  बारात |
ना  जानें  कब  आये  वो दिन  ,फेंक  देंगे  जड़ से निकाल |
 मिटा देंगे जग से जलाकर  ,   फिर   ना   कोई पूछे हाल |
मिट   जायेगीं  सारी   यादें ,    फिर   ना करे कोई मलाल |
सब का   हाल यहीं है वर्मा ,   काल  चले  ऐसी  ही   चाल |
श्याम नारायण वर्मा 
(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 497

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shyam Narain Verma on May 7, 2018 at 12:07pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार | सादर

Comment by Shyam Narain Verma on May 7, 2018 at 12:04pm

आदरणीय बृजेश कुमार जी , रचना पर प्रतिक्रिया देने के आपका हार्दिक आभार | सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 6, 2018 at 3:52pm

आ. भाई श्यामनारायन जी, अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 6, 2018 at 3:45pm

वाह बहुत सुन्दर और उत्तम सृजन आदरणीय..

Comment by Shyam Narain Verma on May 5, 2018 at 2:48pm
उत्साह वर्धन के लिये आपक आभार । सादर।
Comment by babitagupta on May 5, 2018 at 12:22pm

आदरणीय सरजी,वर्तमान हो रही व्रक्षों की दशा व उनका दुःख खूब्सूर्त शब्दों में व्यान करने के लिए सधन्यवाद.

Comment by Shyam Narain Verma on May 5, 2018 at 11:46am
आपका ह्रदय से आभारी हूँ आदरणीय
Comment by Samar kabeer on May 5, 2018 at 11:28am

जनाब श्याम नारायण वर्मा जी आदाब,अच्छी रचना हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service