२२१२ २२१२ २२१२ 2212 |
मौसम कहाँ जाये बदल जानें कहाँ बरसात हो | |
दहशत भरे माहौल में जाने कहाँ पर घात हो | |
कैसे करे दोस्ती कहीं जा कर किसी भी देश में , |
सहमें जमाना मेल से कोई कहीं ना बात हो | |
कोई करे कोई भरे बदनाम हो कोई कहीं , |
आतंक के माहौल में जाने किसी घर मात हो | |
जाकर कहीं अंजान दुनिया में बसाते घर सभी , |
सपने सजाते हैं उमर भर जैसा भी औकात हो | |
पाखी उड़े जब आसमां में हौसला कम ना हो कभी , |
वर्मा जहाँ में खुश रहें हर जन खुशी की बात हो | |
श्याम नारायण वर्मा |
(मौलिक व अप्रकाशित) |
Comment
आदरणीय सभी लोगों को रचना भाव पसंद करने हेतु हार्दिक आभार , कृपया स्नेह बनाए रखे | सादर
आदरणीय शिज्जू 'शकूर' जी कौन सा शब्द उचित रहेगा , आप का बहुत बहुत आभार |
सादर ,
दहशत भरे माहौल में जाने कहाँ पर घात हो |
बहुत खूब कहा भाई श्याम जी हार्दिक बधाई .
मौसम कहाँ जाये बदल जानें कहाँ बरसात हो | |
दहशत भरे माहौल में जाने कहाँ पर घात हो | |
कैसे करे दोस्ती कहीं जा कर किसी भी देश में , |
सहमें जमाना मेल से कोई कहीं ना बात हो | आदरणीय श्याम जी ,उम्दा ग़ज़ल हुई है |सादर अभिनन्दन | |
दहशत भरे माहौल में जाने कहाँ पर घात हो.....यही सच है आज की दुनियाँ का ..प्रभावी रचना ...बधाई श्याम नारायण वर्मा जी
समसामयिक प्रस्तुति पपर हार्दिक बधाई आ० shyam नारायण जी!!
आदरणीय श्याम नारायण जी ग़ज़ल पर अच्छा प्रयास है बहुत बहुत बधाई। यहाँ इतना ध्यान रखियेगा कि दोस्ती का वज्न 212 है
Bahut sundar tarike se gazal ki suruwat ki hai. Bahut-2 badhai. |
दहशत भरे माहौल में जाने कहाँ पर घात हो | |
आ० वर्मा जी
बहुत अच्छी गजल कही आपने i सादर i
पाखी उड़े जब आसमां में हौसला कम ना हो कभी , |
वर्मा जहाँ में खुश रहें हर जन खुशी की बात हो |,,,,,,,,अतिसुन्दर ,,,,बहुत बधाई आपको आ.श्यामनारायण वर्मा जी | |
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