For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कौन कहे क्या..... हास्य

प्रथम प्रयास .....वीर छंद
----
सास बहू से कहे प्रेम से देर भयी सो जाओ 'प्लीज़'
बहू सास से यह कहती है फौरन लाओ आँटा पीस
रणभूमी मे कागा कहता बोटी आज मिली बखशीस
बोटी कहती बच गये शत्रू बस इतनी है मन मे कीस


चोर कहे किसका मुहँ देखा खाली बटुआ लिया चुराय
मूँछ ऐंठ कर कहे सिपाही चुपके हफ्ता दो सरकाय
नेता कहता कसम आपकी सब डारेंगे काम बनाय
वोटर कहता क्षमा कीजिये बहकावे मे आँवै नाय

चापलूस अतिथी ये कहता बच्चे कितने हैं मासूम
गुनगुन गुनगुन मच्छर कहता रोगग्रस्त है सबका खून
शेर कहे मै चुप बैठा हूँ नाई काट गया नाखून
नाई कहता लग्न छा गयी देख महीना आया जून

अभियंता का लेखाजोखा सरिया नरम गरम थी भीत
सरिया कहती मुझे पता है काम हुआ था कितना ठीक
नानी कहती घर मे टोना पण्डित ले आओ ज्योतीष
पण्डित कहते इंकम कम था दया किये मुझपे जगदीश

हाँफ हाँफ कर दादा कहते कोई नही किसी का मीत
आला लेकर कहे डाक्टर मर्ज बडा पर लेंगे जीत
वकील कहे जो आप कवी हो पहले मेरा लाओ फीस
कवियों की है बात निराली कलम उठा लिख जाते गीत
----
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 786

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by manoj shukla on May 7, 2013 at 8:30pm
आदर्णीया ऊषा जी... आपका हार्दिक आभार
Comment by Usha Taneja on May 7, 2013 at 7:50pm

आदरणीय  manoj shukla जी, बहुत बढ़िया रचना!

बधाई!

Comment by manoj shukla on May 6, 2013 at 3:34pm
आदर्णीय श्री. बृजेश जी...हार्दिक आभार
Comment by बृजेश नीरज on May 6, 2013 at 3:12pm

सुन्दर!  बधाई स्वीकारें.

Comment by manoj shukla on May 6, 2013 at 11:43am
आदर्णीय कुशवाहा जी आपका सादर आभार..... हम आपसे छोटे है आदर्णीय सीखना तो हम चाहते है आप लोगों से
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 6, 2013 at 11:33am

sikhne ko mila 

abhaar .badhai 

Comment by manoj shukla on May 6, 2013 at 10:50am
आदर्णीय श्री. अशोक जी .....आपका हार्दिक आभार
Comment by Ashok Kumar Raktale on May 6, 2013 at 8:40am

सुन्दर प्रयास है बधाई स्वीकारें.

Comment by manoj shukla on May 5, 2013 at 6:30pm
आदर्णीया कुन्ती जी.....हार्दिक आभार
Comment by manoj shukla on May 5, 2013 at 6:28pm
आदर्णीय केवल प्रसाद जी ....सादर आभार

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service