मई महीने के दूसरे रविवार को
"मातृ दिवस"
मनाया जाता है
बस एक दिन.....
माँ का सम्मान किया जाता है
क्या माँ..........
वो इसी एक दिन.......
के लिये होती है
बाकी के....
तीन सौ चौंसठ दिन
वो शायद
चाकरी करती है....
अपने बच्चों की...
अपने पति की..
निःस्वार्थ भावना लिये
और देर रात...
दुबक जाती है...
घर के किसी कोने में
और संचय करती है
बल...
आने वाले कल के लिये
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदरणीया यशोदा जी:
भावयुक्त रचना के लिए बधाई।
सादर,
विजय निकोर
बहुत सुंदर ......
तीन सौ चौंसठ दिन
वो शायद
चाकरी करती है....
अपने बच्चों की...
अपने पति की..
निःस्वार्थ भावना लिये
और देर रात...
दुबक जाती है...
घर के किसी कोने में
और संचय करती है
बल...
आने वाले कल के लिये .....कितना मार्मिक कितना सत्य .सादर / कुंती
nahi maa sada ke liye hoti hae
divas unke liye hota hae
jinkii raaten kaali hoti haen
yaad unhe bhii aa jaye ki
tum bin nahi maa ke ho
bhart maata bhi maa hae
uskii ore jara dekho
jay ho maa ji ki
vande matram
bhav poorn rachna hetu saadar badhai
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