For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

विदेशी शिक्षा और भारतीय छात्र

भारत के विकास में शिक्षा का अहम योगदान रहा है और आगे भी रहेगा। इस लिहाज से देखें तो देश की सुदृढ़ शिक्षा व्यवस्था को लेकर गहन विचार किए जाने की जरूरत है, मगर अफसोस, भारत में अब तक मजबूत शिक्षा नीति नहीं बनाई जा सकी है। नतीजतन, हालात यह बन रहे हैं कि भारतीय छात्रों को विदेशी जमीन तलाशनी पड़ रही है। स्कूली शिक्षा में भारत की मजबूत स्थिति और गांव-गांव तक शिक्षा का अलख जगाने का दावा जरूर सरकार कर सकती है, लेकिन उच्च शिक्षा में भी उतनी ही बदहाली कायम है। उच्च शिक्षा नीति और व्यवस्था में किसी तरह का बदलाव नहीं होने का परिणाम है कि भारतीय छात्रों का रूझान विदेशों में जाकर शिक्षा ग्रहण करने की तरफ बढ़ता जा रहा है। भले ही उन्हें इसके एवज में कोई भी कीमत चुकानी पड़े। बीते साल आस्ट्रेलिया में एक के बाद एक भारतीय छात्रों पर हमले हुए, उसके बाद भी विदेशी धरती में शिक्षा प्राप्त करने का मोह कम होता नजर नहीं आ रहा है। इस स्थिति के लिए कई पहलू जिम्मेदार हो सकते हैं। साथ ही सरकार की नीति के कारण भी ऐसे हालात भारत में बरसों से बनते आ रहे हैं। शिक्षा के नाम पर भारतीय छात्रों द्वारा विदेशों में अरबों रूपये खर्च किए जा रहे हैं और इस तरह वहां की आर्थिक समृद्धि बढ़ाने में भागीदार बन रहे हैं। जिसे भारतीय हितों की दृष्टि से देखें तो यह कदापि ठीक नहीं है।
बीते दिनों भारत आकर अमेरिका के राश्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा ने इस देश को दुनिया का एक शक्तिशाली राश्ट्र जरूर बताया हो, लेकिन उच्च शिक्षा के लिहाज से आंकलन किया जाए तो भारत की मजबूत स्थिति कहीं नजर नहीं आती। हमेशा से कहा जाता रहा है कि जिस देश में शिक्षा की नींव मजबूत होगी, वह नित नए विकास के आयाम स्थापित करेगा। इस बात को अमेरिका के विकास से जोड़कर देखा जा सकता है। अमेरिका में आज दुनिया भर के छात्रों का उच्च शिक्षा के लिए रेला लगा हुआ है, उसमें भारतीय छात्रों की संख्या कहीं अधिक है। अमेरिका की एक रिपोर्ट बताती हैं कि वहां पढ़ने वाले भारतीय छात्रों की संख्या हर बरस बढ़ रही है। ऐसे में समझा जा सकता है कि भारत में उच्च षिक्षा के क्षेत्र में बहुत कुछ किया जाना बाकी है। रिपोर्ट में दिलचस्प बात यह है कि अमेरिकी छात्रों का भारतीय शिक्षा से मोह भंग हो रहा है। यही कारण है कि भारत आकर अध्ययन करने अमेरिकी छात्रों की संख्या में बीते साल से करीब 15 फीसदी कमी हुई है। ऐसे में अंदाज लगाया जा सकता है कि भारतीय शिक्षा के क्या हालात हैं ? और भारतीय शिक्षा व्यवस्था तथा नीति में काफी कुछ बदलाव की जरूरत है।
आजादी के बाद की स्थिति पर नजर डालें तो देखा जा सकता है कि भारत में केवल जनसंख्या में हर बरस बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन शिक्षा की गुणात्मकता के हिसाब से विचार करें तो ऐसी किसी तरह की बढ़ोतरी नहीं हो सकी है। हर पांच बरस में सरकार बनती है और सरकार नई हो या फिर पुरानी, सभी शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त कमियों को दूर करने की बात कहते हैं, लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि शिक्षा का बजट बहुत कम होता है। पिछले साल बजट में ऐसा कुछ देखने को मिला। इस तरह शिक्षा की बदहाली भला कैसे सुधर सकती है ? भारत में जनसंख्या के लिहाज से वैसे तो विश्वविद्यालयों की संख्या कम ही नजर आएगी, किन्तु यह भी जरूरी नहीं, कि हर व्यक्ति की पहुंच तक, जिस तरह स्कूल शिक्षा की व्यवस्था की गई है। वैसी कोई व्यवस्था उच्च शिक्षा क्षेत्र में हो पाए, ऐसा सोचना हर स्थिति में मुश्किल ही लगता है। यदि उच्च शिक्षा को केवल बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालयों की संख्या को बढ़ाया जाएगा तो उच्च शिक्षा के नाम पर केवल दुकानें ही खुलेंगी। वैसे भी छात्र संगठन का एक वर्ग, शिक्षा के बाजारीकरण के खिलाफ सड़क पर लड़ाई लड़ रहा है और इसे देश के लाखों छात्रों का समर्थन भी मिल रहा है। ऐसे समय में सरकार को रोजगारपरक शिक्षा के क्षेत्र में नई नीति बनाने की जरूरत है। उच्च शिक्षा में बरसों से जो कमियां बरकरार है, उसे सरकार को दूर करने की पहल करनी चाहिए, नहीं तो विकासशील भारत को विकास के जो आयाम तय करना है, वह पूरा नहीं हो पाएगा।
बीते साल उच्च शिक्षा क्षेत्र में विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता को तय करती एक और रिपोर्ट सामने आई थी, जिसमें दुनिया के 200 विश्वविद्यालयों की सूची में भारत के एक भी विश्वविद्यालयों का नाम नहीं था। इसे विडंबना ही तो कहा जा सकता है कि कभी जिस देश की धरती में शिक्षा के लिए विदेशों से पढ़ने वाले छात्र बड़ी संख्या में आते रहे हांे, यदि उसी देश के विश्वविद्यालयों की इस तरह बदहाली होगी तो यहां उच्च शिक्षा में व्याप्त काली छाया का अंदाज लगाया जा सकता है। यहां यह भी बताना जरूरी है कि मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने देश में उच्च शिक्षा में लगातार हो रही कमी को देखते हुए विश्वविद्यालयों की संख्या बढ़ाने का हवाला दिया था, लेकिन यह देश की उच्च शिक्षा के हालात सुधारने कोई कारगर कदम नहीं हो सकता। आंकड़े बताते हैं कि स्कूली शिक्षा की दहलीज भारत में करीब 22 करोड़ छात्र पार करते हैं, जिनमें महज 12 से 14 छात्र ही उच्च शिक्षा ले पाते है। सबसे पहले तो इस दूरी को पाटने तथा कम किए जाने पर गहन विचार करना चाहिए। सरकार के साथ शिक्षाविदों को भी इस मसले पर हस्तक्षेप किए जाने की आवश्यकता है, क्योंकि शिक्षा की नींव मजबूत करने, ऐसा किया जाना अहम है।
हमारा मानना है कि विश्वविद्यालयों की संख्या बढ़ाने के बजाय यदि सरकार देश में चल रहे विश्वविद्यालयों की बदहाली दूर करे, तो शायद भारतीय छात्रों को विश्वास हो कि अब भारत में भी विदेशों में मिलने वाली शिक्षा की तरह सुविधा बढ़ गई है। फिलहाल ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है और आलम यह बना हुआ है कि भारतीय छात्रों का विदेशी विश्वविद्यालयों में पढ़ने जाने, देश से पलायन बद्स्तूर जारी है। इस बात पर सरकार ने कई अवसरों पर अपनी चिंता जाहिर की है, मगर सवाल यही है कि आखिर अब तक इस समस्या को दूर करने किसी तरह का प्रयास क्यों नहीं किया गया है ?
विदेशी धरती पर नस्लभेद जैसे जख्म लेने के बाद भी विदेशी शिक्षा से छात्रों की दिलचस्पी में कमी नहीं आ रही है, इसका कारण यही लगता है कि इन छात्रों को केवल भविष्य की चिंता है, लेकिन बदलते समय के साथ सरकार को उच्च षिक्षा में व्याप्त खामियों को दूर कर पुरानी नीति में बदलाव करना चाहिए, जिससे भारत की प्रतिभा देश में ही रहकर अपना हुनर दिखा सके। यह बात कहीं नहीं छिपी है कि भारतीय प्रतिभा ही है, जो दुनिया में परचम फहरा रही है, लेकिन इन प्रतिभाओं की काबिलियत के हिसाब से शिक्षा व्यवस्था करने में सरकार पंगु बनी हुई है। ऐसे में भला, कैसे भारतीय छात्रों में विदेश जाकर शिक्षा लेने की होड़ न हो, लेकिन हमारा यह भी कहना है कि उस स्थिति में इस देश की सरकार, नेताओं और हमें, ढिंढोरा पीटने का कोई हक नहीं बनता कि किसी भारतीय मूल के प्रवासी नागरिक का विदेशी धरती में उपलब्धि हासिल करने पर सीना चौड़ा करें और गौरव की बातें करें।

राजकुमार साहू
लेखक इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकार हैं

जांजगीर, छत्तीसगढ़
मोबा - 98934-94714

Views: 259

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" प्रात: वंदन,  आदरणीय  !"
23 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद : रौनक  लौट बाजार आयी, जी   एस   टी  भरमार । वस्तुएं …"
29 minutes ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम..."
7 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service