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आओ फिर बटवारा कर लो......

अब जो तुम ना लोटोगे तो

आओ फिर बटवारा कर लो

तुम अपने दिल से जो चाहो

वो सभी सोगातें रख लो....

 

हाँ मैं दोषी नहीं फिर भी चलो

मेरी गवाही तुम ले लो

गिनाते थे जो ऐब मुझ को

वो तुम अब लिख के दे दो.....

 

भर के रखे तुम्हारे लिए

अरमानो के पैमाने जो

जाते हुए उनका अंतिम

संस्कार खुद से कर दो

अब भी कोई बता दो

शर्त रखते हो तो

इस वक़्त उसे भी

आखिरी सलामी दे दो....

 

सूखे फूलो को मैं रख लूंगी

तुम उनके जज्बात ले लो

मेरी आँखों के अक्स का

तुम क्या करोगे छोड़ो

तुम धूप का चश्मा रख लो

याद आएँगी मुझे वो बरसातें

मुझे गीली सही तुम

वो सूखी चादर रख लो....

 

मैं अंधेरों में ही तुम्हे

याद कर लुंगी

तुम तारों की झिलमिल

बारातें रख लो

मेरा कल तो तुम

ले ही चुके हो अपने

कल के लिये

मेरी दुआएं रख लो....

 

मेरे लिये तुम्हारे धोखे सही

अपने लिये मेरी वफाएं रख लो

सलामत रहे मोहब्बत मेरी

कम जो पड़े तो मेरी

उम्र भी तुम रख लो....

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Comment

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Comment by Priyanka singh on January 4, 2014 at 4:23pm

बहुत बहुत शुक्रिया सर .......

Comment by vijay nikore on January 4, 2014 at 1:31am

बहुत ही कोमल भाव हैं..एक के बाद एक और..जो मन को गहरे छू जाते हैं, आदरणीया प्रियंका जी।  बधाई।

Comment by Priyanka singh on June 9, 2013 at 12:11am
बहुत बहुत शुक्रिया सर डी पी माथुर जी......
Comment by D P Mathur on June 8, 2013 at 6:01pm

मेरा कल तो तुम ले ही चुके हो ,
अपने कल के लिये मेरी दुआएं रख लो .......
इन लाइनों मे उलहाने के साथ साथ सर्वस्व सर्मपण महसूस हो रहा है ।
सुन्दर रचना है। डी पी माथुर

Comment by Priyanka singh on May 30, 2013 at 3:16pm

पसंदगी का शुक्रिया.....अमन कुमार जी 

Comment by aman kumar on May 30, 2013 at 3:10pm

अच्छी रचना के लिए बधाई |

Comment by Priyanka singh on May 21, 2013 at 11:47pm

आदरणीय सर आपकी प्रशंसा से बहुत ख़ुशी हुई बहुत बहुत आभार अशोक सर जी .......आशीर्वाद बनाये रखे 

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 21, 2013 at 11:06pm

मैं अंधेरों में ही तुम्हे याद कर लुंगी तुम तारों की झिलमिल बारातें रख लो मेरा कल तो तुम ले ही चुके हो अपने कल के लिये मेरी दुआएं रख लो.... मेरे लिये तुम्हारे धोखे सही अपने लिये मेरी वफाएं रख लो सलामत रहे मोहब्बत मेरी कम जो पड़े तो मेरी उम्र भी तुम रख लो.......वाह बहुत सुन्दर. आदरणीया प्रियंका सिंह जी सादर, सुन्दर भावपूर्ण रचना के लिए सादर बधाई स्वीकारें कुछ पंक्तियाँ तो बहुत ही अच्छी हैं.

Comment by Priyanka singh on May 20, 2013 at 8:41pm

पसंदगी का बहुत बहुत शुक्रिया ब्रजेश  जी .......आपकी सलाह पर ध्यान दूंगी .......शुक्रिया 

Comment by बृजेश नीरज on May 20, 2013 at 8:25pm

आदरणीया आपकी रचना बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण है। रिश्तों की टीस आपने बहुत खूबसूरती से उभारा है अपनी रचना में।
मेरा एक निवेदन है कि रचना पर गद्यात्मकता को हावी न होने दें।

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