अब जो तुम ना लोटोगे तो
आओ फिर बटवारा कर लो
तुम अपने दिल से जो चाहो
वो सभी सोगातें रख लो....
हाँ मैं दोषी नहीं फिर भी चलो
मेरी गवाही तुम ले लो
गिनाते थे जो ऐब मुझ को
वो तुम अब लिख के दे दो.....
भर के रखे तुम्हारे लिए
अरमानो के पैमाने जो
जाते हुए उनका अंतिम
संस्कार खुद से कर दो
अब भी कोई बता दो
शर्त रखते हो तो
इस वक़्त उसे भी
आखिरी सलामी दे दो....
सूखे फूलो को मैं रख लूंगी
तुम उनके जज्बात ले लो
मेरी आँखों के अक्स का
तुम क्या करोगे छोड़ो
तुम धूप का चश्मा रख लो
याद आएँगी मुझे वो बरसातें
मुझे गीली सही तुम
वो सूखी चादर रख लो....
मैं अंधेरों में ही तुम्हे
याद कर लुंगी
तुम तारों की झिलमिल
बारातें रख लो
मेरा कल तो तुम
ले ही चुके हो अपने
कल के लिये
मेरी दुआएं रख लो....
मेरे लिये तुम्हारे धोखे सही
अपने लिये मेरी वफाएं रख लो
सलामत रहे मोहब्बत मेरी
कम जो पड़े तो मेरी
उम्र भी तुम रख लो....
Comment
बहुत बहुत शुक्रिया सर .......
बहुत ही कोमल भाव हैं..एक के बाद एक और..जो मन को गहरे छू जाते हैं, आदरणीया प्रियंका जी। बधाई।
मेरा कल तो तुम ले ही चुके हो ,
अपने कल के लिये मेरी दुआएं रख लो .......
इन लाइनों मे उलहाने के साथ साथ सर्वस्व सर्मपण महसूस हो रहा है ।
सुन्दर रचना है। डी पी माथुर
पसंदगी का शुक्रिया.....अमन कुमार जी
अच्छी रचना के लिए बधाई |
आदरणीय सर आपकी प्रशंसा से बहुत ख़ुशी हुई बहुत बहुत आभार अशोक सर जी .......आशीर्वाद बनाये रखे
मैं अंधेरों में ही तुम्हे याद कर लुंगी तुम तारों की झिलमिल बारातें रख लो मेरा कल तो तुम ले ही चुके हो अपने कल के लिये मेरी दुआएं रख लो.... मेरे लिये तुम्हारे धोखे सही अपने लिये मेरी वफाएं रख लो सलामत रहे मोहब्बत मेरी कम जो पड़े तो मेरी उम्र भी तुम रख लो.......वाह बहुत सुन्दर. आदरणीया प्रियंका सिंह जी सादर, सुन्दर भावपूर्ण रचना के लिए सादर बधाई स्वीकारें कुछ पंक्तियाँ तो बहुत ही अच्छी हैं.
पसंदगी का बहुत बहुत शुक्रिया ब्रजेश जी .......आपकी सलाह पर ध्यान दूंगी .......शुक्रिया
आदरणीया आपकी रचना बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण है। रिश्तों की टीस आपने बहुत खूबसूरती से उभारा है अपनी रचना में।
मेरा एक निवेदन है कि रचना पर गद्यात्मकता को हावी न होने दें।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online