For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

!!! गजल !!!
वज्न- 2122, 2122, 2122, 212

अब वतन को लूटकर सिर कांटना क्या पीर है।
आम जनता रोज मरती शापता क्या पीर है।।

घूस खोरी या कमीशन खूब करते ठाठ से।
मुफलिसी का हाथ थामे रास्ता क्या पीर है।।1

जिन्दगी की डोर टूटी बम धमाका जोर से।
आदमी अब आदमी ना वासना क्या पीर है।।2

न्याय भी अब राग गाती या गरीबी-ताज हो।
जन्म का अधिकार कहती आत्मा क्या पीर है।।3

जेठ सूरज की नवाजिश वृक्ष जलकर मर रहे।
आश का पंछी पियासा चाहना क्या पीर है।।4

रात रोते चांद-तारें नींद पहरों पर अड़े।
दूब-शबनम रोज भटकें वास्ता क्या पीर है।।5

आप ‘सत्यम‘ बात लिखना आइना जो देख ले।
अब न नेता देश का है दोगला क्या पीर है।।6

के0पी0सत्यम/मौलिक व अप्रकाशित

Views: 715

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 14, 2013 at 7:07pm

आ0 रक्ताले सर जी,  बिलम्ब के लिए क्षमा।   उत्साहवर्धन हेतु आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by Ashok Kumar Raktale on June 6, 2013 at 7:54am

जेठ सूरज की नवाजिश वृक्ष जलकर मर रहे।
आश का पंछी पियासा चाहना क्या पीर है।।...........बहुत बढ़िया. 

आदरणीय केवल प्रसाद जी सादर,सुन्दर गजल कही है बहुत बहुत दाद कुबुलें.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 30, 2013 at 9:26pm

आ0 राम शिरोमणि भाई जी, उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार। सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 30, 2013 at 9:25pm

आ0 तनवीर भाई जी, उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार। सादर,

Comment by ram shiromani pathak on May 29, 2013 at 3:41pm

वाह वाह बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति हुई है आदरणीय भाई जी ///हार्दिक बधाई 

Comment by TARUN KUMAR SONI "TANVEER" on May 28, 2013 at 11:40pm

बहुत ही खुबसूरत ग़ज़ल है .

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 28, 2013 at 8:16pm

आ0 श्याम नारायण जी, आपके स्नेह और उत्साहवर्धन से मेरे आत्मबल को और अधिक दृढता मिली है।   आप बस यूं ही प्यार और स्नेह बनाए रखिए।   आपका तहेदिल से हार्दिक आभार। सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 28, 2013 at 8:15pm

आ0 आशुतोष भाई जी, आपका स्नेह और उत्साहवर्धन से मेरे आत्मबल को और अधिक दृढता मिली है।   आप बस यूं ही प्यार और स्नेह बनाए रखिए।   आपका तहेदिल से हार्दिक आभार। सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 28, 2013 at 8:10pm

आ0 कुन्ती मैम जी, आपका स्नेह और उत्साहवर्धन पाकर मेरा प्रयास सार्थक हो गया।   आपका तहेदिल से हार्दिक आभार। सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 28, 2013 at 8:08pm

आ0 आशीष नैथानी भाई जी, आपका स्नेह और सराहना पाकर मन गदगद हो गया।  मैं आपके स्नेह और मार्गदर्शन की सदा ही अपेक्षा रखता हूं।  आप बस यूं ही प्यार और स्नेह बनाए रखिए।   आपका तहेदिल से हार्दिक आभार। सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बहुत खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया

पलभर में धनवान हों, लगी हुई यह दौड़ ।युवा मकड़ के जाल में, घुसें समझ कर सौड़ ।घुसें समझ कर सौड़ ,…See More
16 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   वाह ! प्रदत्त चित्र के माध्यम से आपने बारिश के मौसम में हर एक के लिए उपयोगी छाते पर…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत कुण्डलिया छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, कुण्डलिया छंद पर आपका अच्छा प्रयास हुआ है किन्तु  दोहे वाले…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया छंद रचा…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आती उसकी बात, जिसे है हरदम परखा। वही गर्म कप चाय, अधूरी जिस बिन बरखा// वाह चाय के बिना तो बारिश की…"
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीया "
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"बारिश का भय त्याग, साथ प्रियतम के जाओ। वाहन का सुख छोड़, एक छतरी में आओ॥//..बहुत सुन्दर..हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्र पर आपके सभी छंद बहुत मोहक और चित्रानुरूप हैॅ। हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेश कल्याण जी।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service