For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शक्ति है मात्र नारी (महाभुजंगप्रयात सवैया)

विधान : महभुजंगप्रयात सवैया - यगण (।ऽऽ) X 8

नहीं पुत्रियाँ क्या रहीं पुत्र जैसी उठा चिन्तनों में यही प्रश्न भारी
यही सोचते रात्रि बीती हमारी समाधान पाया नहीं बुद्धि हारी
पढ़ा सत्य है पुत्रियाँ हैं नहीं पुत्र जैसी कभी भी न होतीं विकारी
न मारो इन्हें गर्भ में पुत्र से श्रेष्ठ हैं मान लो शक्ति है मात्र नारी
*******************************


डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 1114

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on June 5, 2013 at 9:38am

धन्यवाद और आभार राम जी

Comment by ram shiromani pathak on June 4, 2013 at 6:40pm

आदरणीय,बहुत ही सुन्दर चित्रण किया है अपने हार्दिक बधाई //सादर 

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on June 4, 2013 at 5:16pm

क्षमा प्रार्थी हूँ सौरभ जी.......आगे से ध्यान रखूँगा 

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on June 4, 2013 at 5:14pm

 मेरे जैसे रचनाकार से ऐसी भूल अपराध है है बागी जी.......आपकी महानता है जो उसे मात्र भूल कह कर उपेक्षा कर दी......आभार आपका 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 4, 2013 at 1:06pm

आदरणीय आशुतोषजी,  सर्वगामी छंद वस्तुतः तगणाश्रित समूह का वृत है. किन्तु आपने शिल्प महाभुजंगप्रयात का दिया था. अतः मैं थोड़ा ऊहपोह में आ गया.

चलिये हम मिलजुल कर सीखते हुए आगे बढ़ते रहेंगे. यही तो इस मंच का मूल उद्येश्य है.

इसी मंच के समूह टैब में एक वर्ग है भारतीय छंद समूह. वहाँ कतिपय छंदों पर प्रविष्टियाँ हैं. अन्य छंदों के विधानों पर भी आलेख आते रहेंगे. उनमें सवैया और उसके कई प्रारूपों पर भी प्रविष्टियाँ हैं. अवसर मिले तो एक नज़र डालियेगा..

http://www.openbooksonline.com/group/chhand/forum/topics/5170231:To...

सादर


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 4, 2013 at 12:28pm

//मुझसे बड़ा अपराध हो गया कृपया उसे महाभुजंग प्रयात छन्द ही समझे और यदि संभव हो तो मूल पोस्ट में भी सही करवा दें //

अपराध जैसी कोई बात नहीं आदरणीय, इसे भूल कहना पर्याप्त होगा, मूल पोस्ट संशोधित हो गई है । 

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on June 4, 2013 at 10:57am

आपका कथन सत्य है सौरभ जी  सर्वगामी छन्द (७ तगण २ गुरु) का यह शिल्प है मुझसे बड़ा अपराध हो गया कृपया उसे महाभुजंग प्रयात छन्द ही समझे और यदि संभव हो तो मूल पोस्ट में भी सही करवा दें 

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on June 4, 2013 at 9:44am

योगेन्द्र जी धन्यवाद 

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on June 4, 2013 at 9:43am

जहां तक मै जानता हूँ महाभुजंग प्रयात छन्द का शिल्प ७ यगण लघु गुरु होता है सौरभ जी......संभव है मै गलत हूँ एक बार देख कर स्पष्ट कर दूँगा........कभी के साथ भी के प्रयोग का प्रयोग अनुचित है, यह बात मेरे संज्ञान में नहीं है,,,,इसे आपका सद्परामर्श मान कर आगे के लिए ध्यान रखूँगा.......बहुत बहुत आभार 

Comment by Yogendra Singh on June 3, 2013 at 10:48pm

अति सुंदर...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
23 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service