For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वो एक बार तबीअत से आजमाए मुझे

एक ताज़ा ग़ज़ल आप सभी की मुहब्बतों के हवाले ....

वो एक बार तबीअत से आजमाए मुझे
पुकारता भी रहे और नज़र न आए मुझे

मैं डर रहा हूँ कहीं वो न हार जाए मुझे
मेरी अना के मुक़ाबिल नज़र जो आए मुझे

मुझे समझने का दावा अगर है सच्चा तो 
मैं उसको चाहता हूँ, अब 'वही' बताए मुझे

मनाने रूठने के खेल में तो तय था यही
मैं रूठ जाऊं, वो हर हाल में मनाए मुझे

वो मुफ्त में मुझे हासिल नहीं है, तो वो भी
मुहब्बतों के हवाले से ही कमाए मुझे

मैं सुब्हो शाम पढ़े हूँ उसे फ़साने सा
वो हर वरक पे मनाज़िर नए दिखाए मुझे

(मफ़ाइलुन फ़इलातुन मफ़ाइलुन फैलुन)
१२१२ ११२२ १२१२ २२

- वीनस केसरी

Views: 1054

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on June 5, 2013 at 9:57pm

सौरभ जी,

सच कहूँ तो अब तक की अपनी १८० - १९०  रचनाओं में १०- १२ को ही ग़ज़ल के रूप में दिल के करीब पाता हूँ 
बाकी सब मुझे बहरो वज्न में प्रलाप ही दिखती हैं ...

इसे आप अन्यथा न लीजियेगे मैं इस पर बहुत सीरियस हूँ ...


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 5, 2013 at 9:49pm

भाई वीनसजी, मैं बस यही आश्वस्ति चाहता था. आमीन. आप बढिये क्योंकि आपके पास विधा का लिहाज़ है. जिसकी कमी थी वो इस ग़ज़ल से झलक रही है.

इस बात के तहत एक बात और कहूँगा कि ओबीओ पर रचनाओं या ग़ज़लों पर ’वाह’ और ’आह’ के बीच समझ को भी बढ़ाने का काम किया जाता है. भाई अरुन अनन्तजी ने जिन शब्दों में इस ग़ज़ल पर अपनी बेबाक प्रतिक्रिया ज़ाहिर की है वह उनका हक़ है. इस पर कोई कुछ नहीं कह सकता. 

लेकिन ग़ज़लगोई का मतलब क्या सिर्फ़ चौंकाना है ? कौतुक पैदा करना है ? आपकी ग़ज़ल के बरअक्स इस बात का इशारा उछाल रहा हूँ.

जिस मेयार की यह गज़ल है या हम सभीने समझा है वह किसी नाउम्मीद ग़ज़लकार का एकालाप तो है नहीं.  फिर आपने ऐसे शब्द का प्रयोग स्वयं ही क्यों किया ?  वैसे, यह खूब स्पष्ट है कि इस ग़ज़ल का संज़ीदे ख़यालात से उतना ही रबिता है जितना अश’आर का बह्रोवज़्न से होता है.

पुनः ढेर सारी बधाई..

Comment by वीनस केसरी on June 5, 2013 at 9:04pm

सौरभ जी आपका विश्लेषण सटीक है ....

बहुत कुछ निभाने की कोशिश है देखना है कहाँ तक सफलता मिलती है ....


Comment by वीनस केसरी on June 5, 2013 at 9:02pm

jitendra jee punah dhanyvaad 

Comment by वीनस केसरी on June 5, 2013 at 8:55pm

कल्पना जी आपका लाजवाब हो जाना मुझे भी लाजवाब कर गया ...

Comment by वीनस केसरी on June 5, 2013 at 8:54pm

गीतिका जी आपको ग़ज़ल पसंद आई जान कर बेहद खुशी हुई ..

Comment by वीनस केसरी on June 5, 2013 at 8:53pm

कुंती जी धन्यवाद 

Comment by वीनस केसरी on June 5, 2013 at 8:52pm

धन्यवाद राम शिरोमणि जी आपका आभारी हूँ 

Comment by वीनस केसरी on June 5, 2013 at 8:52pm

शालिनी जी खुले दिल से ग़ज़ल का अनुमोदन करने के लिए धन्यवाद 

Comment by वीनस केसरी on June 5, 2013 at 8:51pm

अरुन अभिनव जी आपका हार्दिक आभारी हूँ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
yesterday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
yesterday
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
yesterday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service