For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पहली बार एक ग़ज़ल के साथ हाज़िर हो रहा हूँ : अज़ीज़ बेलगामी

ग़ज़ल
("मोहब्बत" की नज्र)

अज़ीज़ बेलगामी, बैंगलोर


ज़मीं बंजर है, फिर भी बीज बोलो, क्या तमाशा है
तराजू पर, खिरद की, दिल को तोलो, क्या तमाशा है

ज़माने से छुपा रख्खा है हम ने सारे ज़खमौं को
सितम के दाग़-ए-दामां तुम भी धोलो, क्या तमाशा है

अभी चश्मे करम की आरज़ू है सैर-चश्मों को
हो मुमकिन तो हवस के दाग़ धो लो, क्या तमाशा है

नहीं कशकोल बरदारी तुम्हारी, वजह–ए-रुसवाई
मोहब्बत मांगनी है मुह तो खोलो, क्या तमाशा है

यकीं कर लो, तुम्हें मंजिल तलक हम ले के जायेंगे
चले आओ, हमारे साथ हो लो, क्या तमाशा है

अभी तक गेसुवों के पेचो-ख़म की बात होती है
भिगो लो, अब तो पलकों को भिगो लो, क्या तमाशा है

"अज़ीज़" आंसू बहाने को जहां तैयार बैठा है
ज़रूरी तो नहीं है, तुम भी रो लो, क्या तमाशा है


Khirad : Aql
Kashkol bardaari : Bheek ka katora uthaaye huwe rahna

Views: 444

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Azeez Belgaumi on December 21, 2010 at 5:51pm

Tiwari sir... pata nahiN aap ke comment par meri nazar kyouN nahiN paDi... khair aap ne jo ummideN mujh se wabasta kar rakhkhi haiN... Insha Allah .. unheN pura karne puri koshish karrunga...

Comment by Azeez Belgaumi on December 21, 2010 at 5:49pm

Yograj prabhakar ji... bahut taakhir se ap ka shukriya adaa kar raha huN.. bahut sharminda huN... AAp ne meri gazal ko pasand kiya is ka behad shukriya.. aap ke saath rah kar mujhe bahut khushi hogi... Shukriya... Ishwar aap ko khush rakhkhe.. Ameen

Comment by Azeez Belgaumi on December 21, 2010 at 5:47pm

Navin ji meri nazar apke is comment par shayad paDi nahi.. MaiN bahut sharminda huN... aap ki satayish mere liye baaiC-e-Himmat afzaai hai.. Ishwar aap ko khush rakhkhe... Ameen

Comment by Azeez Belgaumi on December 21, 2010 at 5:44pm

Aadarniya Pandey ji ... Shukriya... aap mere saath raheN... Main koshish karunga ke aap ke zauq ka saaman hota rahe... Aap ki ummidouN par pura utarne ki puri koshish karta rahunga. khush raheN..

Comment by Abhinav Arun on December 21, 2010 at 2:43pm

अज़ीज़ बेलगामी साहब गज़ल पढकर हृदय प्रसन्न हो गया ,मुझे बारीकियों की उतनी पहचान तो नहीं पर एक आम पाठक की तरह मैं कह सकता हूँ की आपकी आमद ओ.बी.ओ. को काफी समृद्ध कर रही है |


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on December 3, 2010 at 2:26pm
निहायत ही पुरकशिश और पुरनूर आशार कहे हैं आपने अजीज़ साहिब - वाह वाह ! मतले से मकते तक एक एक शेअर आपकी बाकमाल कारीगरी का शाहिद है ! दर्जा ज़ैल शेअर तो दिल को छू कर निकल गया :

//अभी चश्मे करम की आरज़ू है सैर-चश्मों को
हो मुमकिन तो हवस के दाग़ धो लो, क्या तमाशा है //

इस खूबसूरत ग़ज़ल को हम सब के साथ साझा करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया !
Comment by Azeez Belgaumi on December 2, 2010 at 11:21pm
Dhanyawad mohataram Lata sahiba... Ishwar khush rakhkhe aap ko : AZEEZ BELGAUMI
Comment by Lata R.Ojha on December 2, 2010 at 6:27pm
अभी तक गेसुवों के पेचो-ख़म की बात होती है
भिगो लो, अब तो पलकों को भिगो लो, क्या तमाशा है
ye panktiyaan bahut hi pasand aayin...:)

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
1 hour ago
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
4 hours ago
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
5 hours ago
Ravi Shukla commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत अच्छी गजल आपने कहीं करवा चौथ का दृश्य सरकार करती  इस ग़ज़ल के लिए…"
5 hours ago
Ravi Shukla commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेंद्र जी बहुत अच्छी गजल आपने कहीं शेर दर शेर मुबारक बात कुबूल करें। सादर"
5 hours ago
Ravi Shukla commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी गजल की प्रस्तुति के लिए बहुत-बहुत बधाई गजल के मकता के संबंध में एक जिज्ञासा…"
5 hours ago
Ravi Shukla commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय सौरभ जी अच्छी गजल आपने कही है इसके लिए बहुत-बहुत बधाई सेकंड लास्ट शेर के उला मिसरा की तकती…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर आपने सर्वोत्तम रचना लिख कर मेरी आकांक्षा…"
20 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे... आँख मिचौली भवन भरे, पढ़ते   खाते    साथ । चुराते…"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"माता - पिता की छाँव में चिन्ता से दूर थेशैतानियों को गाँव में हम ही तो शूर थे।।*लेकिन सजग थे पीर न…"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे सखा, रह रह आए याद। करते थे सब काम हम, ओबीओ के बाद।। रे भैया ओबीओ के बाद। वो भी…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"स्वागतम"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service