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मेरे पिता : सरिता भाटिया

मेरे पिता एवं भाई 


माँ ने जो बेशुमार प्यार दिया,

पिता ने चुपचाप दुलार किया !

ऊँगली पकड़ जो चलना सिखाया,

तुतलाते बोलों ने अर्थ आपसे पाया !

पिता की डांट में छुपा था प्यार ,

जिसका न हो पाया कभी इजहार !

अन्दर से नरम और ऊपर से कठोर ,

अकेले बैठ हमेशा ही हुए भावविभोर !

बेटे बेटी का न कभी किया अंतर ,

चलते ही रहे बिना थके आप निरंतर !

माँ के माथे की बिंदिया का थे विश्वास ,

साथ हमेशा होने का दिलाया अहसास !  

जब था अनजान सब दुनिया का नजारा ,

पिता के कन्धों पर बैठ देखा जग सारा !

जिंदगी के सफ़र का जब आपने विश्राम पाया ,

हमने कन्धों पर आपको मोक्षद्वार पहुँचाया  !  

पिता की छांव ने सिखाया खिलखिलाना ,

'सरिता' निरंतर बहना न व्यर्थ आँसू बहाना !!

.........................................

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 670

Comment

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Comment by राजेश 'मृदु' on June 17, 2013 at 1:19pm

इस रचना पर बधाई तो नहीं दे सकता बस इतना कहूंगा कि आप सतत रचना करते रहें, आपका भाव क्षेत्र बहुत व्‍यापक है । किसी को खोने के बाद भी पा लेने की स्थिति है और बहुत खूब है, सादर

Comment by विजय मिश्र on June 17, 2013 at 12:48pm
आज जिसकी कमी होती जा रही है वही आपमें अभिव्यक्त है . माता-पिता के प्रति आपकी असीम श्रद्धा ने मेरी दृष्टि में आपको श्रद्धेया बना दिया .सादर .
Comment by ram shiromani pathak on June 15, 2013 at 7:17pm

आदरणीया सरिता जी बहुत ही सुन्दर चित्रण किया है अपने //हार्दिक बधाई

Comment by coontee mukerji on June 15, 2013 at 6:47pm

माँ के माथे की बिंदिया का थे विश्वास ,

साथ हमेशा होने का दिलाया अहसास........बहुत सुंदर / सादर / कुंती

Comment by Meena Pathak on June 15, 2013 at 6:45pm

पिता की छांव ने सिखाया खिलखिलाना ,

'सरिता' निरंतर बहना न व्यर्थ आँसू बहाना !!

क्या कहूँ ... आँखें भीग गयी आप की रचना पढ के ...... बधाई आप को 

Comment by Sarita Bhatia on June 15, 2013 at 6:21pm

vijayashree आदरणीया विजयश्री जी तह दिल से स्वागत है आपका ,शुक्रिया 

Comment by Sarita Bhatia on June 15, 2013 at 6:20pm

बसंत नेमा जी हार्दिक आभार 

Comment by vijayashree on June 15, 2013 at 6:11pm

माता पिता के लिए जितना भी लिखा जाए कम है

 

श्रद्धेय पिता का गुणगान करती  सुंदर रचना / बधाई सरिताजी  

Comment by बसंत नेमा on June 15, 2013 at 4:03pm

बहुत ही सुदर रचना ... बधाई

Comment by Sarita Bhatia on June 15, 2013 at 3:11pm

 अरुन शर्मा 'अनन्त'   अरुण शुक्रिया स्नेहिल साथ बनाए रखें 

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