For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्या विधि लिखूँ सत्य वह …!

क्या विधि लिखूँ  सत्य वह …!

जिसका विधान न हो!

न अनुनय के शब्द रहे 

तेरी प्रार्थना रिक्त रहे 

और प्रार्थी का तुझ

सम्मुख; कोई मान न हो 

क्या विधि लिखूँ  सत्य वह …!

धूप आई झुलसाती 

चाँद रात गल जाती 

मृतक देह का फिर भी 

क्यों अवसान न हो   

क्या विधि लिखूँ  सत्य वह …!  

दीपशिखा सा चिर जलना 

अंध प्रश्न का तो हल ना 

उस अनंत अविधि में भी 

कुछ समाधान न हो 

क्या विधि लिखूँ  सत्य वह …! 

चरणध्वनी गुम होती सी 

रक्त प्रवाहिनी सोती सी 

रैना मेरे घर ठहरी की 

कोई विहान न  हो  

क्या विधि लिखूँ  सत्य वह …!

पदचिन्हों की आहट पाती 

राह स्वयं तो न चल पाती 

कोई चले तो कैसे की 

पग के निशान न हो 


क्या विधि लिखूँ  सत्य वह …!  

दृष्टी नित होती धुंधली 

बीते कल में थी उजली 

घना छा रहा धुंध किन्तु 

नव ज्योतिर्मान न हो 


क्या विधि लिखूँ  सत्य वह …! 

                      गीतिका 'वेदिका'

मौलिक प्रकाशित  

 

 

Views: 747

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on June 26, 2013 at 5:17pm

वाह क्या कहने आदरणीया गीतिका जी बहुत ही सुन्दर //हार्दिक बधाई 

Comment by Shyam Narain Verma on June 26, 2013 at 5:13pm

सुन्दर रचना हार्दिक बधाई स्वीकारें...........................

Comment by रविकर on June 26, 2013 at 4:30pm

शब्दों का सुन्दर सामंजस,

भावो को भी बढ़िया ढाला -
पंक्ति पंक्ति से टपके है रस,

सचमुच यह अंदाज निराला ||


बधाइयां आदरणीया-

Comment by अरुन 'अनन्त' on June 26, 2013 at 2:59pm

आदरणीया गीतिका जी बहुत ही सुन्दर सुकोमल भाव बड़ी ही सहजता और सरलता से लिखी है आपने ये रचना. हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by shalini rastogi on June 26, 2013 at 2:38pm

सुन्दर भावों से युक्त रचना .. बधाई गीतिका जी !

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 26, 2013 at 1:53pm
आदरणीया...गीतिका जी, आपने सुंदर व भावनाओं में डूबी हुई, व्यथा की परिकाष्ठा को समझाती पंक्तियां प्रस्तुत की है! "तहे दिल से शुभकामनाऐं...स्वीकार कीजीऐ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service