For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आखरी पन्नें (2) दीपक शर्मा 'कुल्लुवी '

आखरी पन्नें (2) दीपक शर्मा 'कुल्लुवी '

न देख ख्वाब यह साक़ी की कोई थाम लेगा तुझको
संभले हुए दिल तेरी महफ़िल में नहीं आते.........

ज़िन्दगी में इंसान बहुत कुछ जीतता है और बहुत कुछ हार जाता है लेकिन हार कभी नहीं माननी चाहिए निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए कभी तो मंजिल मिलेगी मंजिल कभी न भी मिले तो कम से कम उसके करीब तो पहुँच जाओगे




कमीं रह गयी

ज़िन्दगी में तुम्हारी कमीं रह गयी
अपनीं यादें जहाँ थी,वहीँ रह गयी
दुनियां वाले लगाते रहे तोहमतें
अपनें हिस्से में ग़म,बेबसी रह गयी
ऐसा मुमकिन नहीं भूल पाओ हमें
हम जो रुखसत हुए आँखें नाम रह गयी
'दीपक कुल्लुवी' ना जानें कहाँ चल दिया
महफ़िल सजी की सजी रह गयी
कहते हैं जिंदा है, पर लगता नहीं
सांसें तो उसकी यहीं रह गयी

मैनें ज़िन्दगी में कभी भी समय बर्वाद नहीं किया चाहे मैं सफ़र में हूँ या शमशान में मेरी कलम निरंतर चलती ही रहती है I जो ज़हन में आता है कागज़ पे उतारता रहता हूँ इ घर में भी कागजों के ढेर लग चुके हैं I मेरी धर्मपत्नी इसी बात के लिए मुझसे बहुत दुखी रहती है I अब हम क्या करें जब तक दिन में कुछ लिख नहीं लिया तो ख़ाली ख़ाली सा लगता है I

कुछ न कुछ

मेरे शे-रों में कुछ न कुछ तो ज़रूर रहा होगा
वर्ना अश्क आपके,इस कदर न छलकते
अंधेरों में ही सही,चिराग जलाने चले आते हो
वर्ना मेरी मजार के आसपास,इस कदर बेबस न भटकते
मायूस होकर ना देखते,बंद फाइलों में तस्वीरें मेरी
मेरी यादों के लिए,इस कदर ना तरसते
यह तो 'दीपक कुल्लुवी' का वादा था याद रखेंगे
आप तो बेवफा थे,इस कदर बेवजह ना बदलते

आदमी को कभी भी अपनी ज़िन्दगी पर गुमान नहीं करना चाहिए न जानें उसकी मौत कैसी हो I उसे हमेशा बिनम्र होना चाहिए,दूसरों का भला करना चाहिए करम आपके ऐसे होने चाहिए की आपके जाने के बाद लोग बरसों आपको याद रखें I

कातिल हैं

तेरी बेरुखी तेरा ग़म
मेरी तकदीर में शामिल है
कभी तो करते हमपे यकीं
के हम भी तेरे काबिल हैं
तेरी बेरुखी तेरा ग़म----
लाख जुदाई हो तो क्या
यादों में कभी हो ना कमीं
बचा लेंगे मंझधार से भी
हम ही तेरे साहिल हैं
तेरी बेरुखी तेरा ग़म----
क़त्ल भी कर दो उफ़ ना करें
हँसते हँसते मर जाएंगे
ना ज़िक्र करेंगे दुनियां से
कि आप ही मेरे कातिल हैं
तेरी बेरुखी तेरा ग़म----
हम 'दीपक' थे जल जाते खुद
क्यों आपने ज़हमत की ए-दोस्त
अफ़सोस है मुझे जलाने में
आप भी तो शामिल हैं
तेरी बेरुखी तेरा ग़म---

दीपक शर्मा कुल्लुवी'
09136211486
०7-12-3010.
क्रमश:

Views: 331

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on December 9, 2010 at 3:13pm
DHANYABAAD AGARWAL JI
SHER-O-SHAYARI APAI JAGAH HAI AUR HAQIKAT APANI JGAH
MAIN SABKO HAQEEKAT SE RUBRUH KARWANA CHAHTA HOON TAQI LOGON KO KUCH SEEKH MILE JO GALTIYAN HAMNE KI WOH DUSARE NA KAREN
Comment by satish mapatpuri on December 8, 2010 at 3:44pm
हम 'दीपक' थे जल जाते खुद
क्यों आपने ज़हमत की ए-दोस्त
अफ़सोस है मुझे जलाने में
आप भी तो शामिल हैं
दीपक जी, स्नेहिल अभिवादन. हर शेर बेहतरीन है, शुक्रिया.
Comment by Bhasker Agrawal on December 8, 2010 at 2:40pm
बहुत खूब

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
yesterday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
yesterday
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
yesterday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service