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शुक्रिया आपका आदरणीया प्रज्ञा जी!
गीतिका जी, बहुत ही सुंदर गजल
आपका आभार आदरणीय कविता जी!
पुनः आभार राम भैया!!
आदरणीय कुन्ती जी!
के लिए बहुत महत्व पूर्ण बात है
बहुत बढ़िया गीतिका जी .
वेदिका जी,वकई आपकी लिखी हुई एक एक गज़ल में युवा दिल की धड़कनें और बेताबियाँ छिपी हुई है.
मंजिल गुम बेमतलब जीवन उफ़ तौबा तौबा........सच में तौबा..तौबा.
अब तो अपना सा हर दुश्मन उफ़ तौबा तौबा.........ये बेचारे क्या करेंगे इनके वश में सब कुछ थोड़े ही होते हैं इन्हें बक्श देना ही बेहतर है.
औ पीली चूड़ी की छनछन उफ़ तौबा तौबा.........ये अंदाज़ भी खूब है दिलवालों के लिये.
देविका जी, एक ही शब्द में कहूँ.....excellent.
ये तो आपकी महानता है दीदी जो इस अनुज को आप इतना मान दे रही हैं!!
आपका तहे दिल से आभार राम भैया!! जब तक आपकी बधाई न मिले अधुरा सा लगता है :))
आदरणीया राजेश कुमारी जी! नमन!!
वाह वाह गीतिका दीदी बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल कही है आपने//हार्दिक बधाई आपको
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