For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खुदा की धरती खुदा का अम्बर

दोस्तों अपने इस के साथ आप सबको

रमजान की मुबारक वाद देता हूँ ...................................

खुदा की धरती खुदा का अम्बर ,

खुदा की कुदरत पे किसका हक़ है ।

वो ही बनाये वो ही मिटाए ,

कि उसकी रहमत पे किसको शक है ।

कमाये तुमने यहाँ पे लाखों ,

मगर तमन्ना चुकी नही है ।

ये सुन लो जिस पे है नाज़ तुझको ,

वो जिंदगानी तेरी नही है ।

ज़रा तो सोचो जो तुमने पायी ,

वो तेरी शोहरत पे किसका हक़ है ।

कि अपने बन्दों की बन्दगी का ,

खुदा ने हरदम ख़याल रखा ।

उन्हें दिखे क्या खुदा जिन्होंने ,

आँखों पे परदा है डाल रखा ।

कि हमको जिसने किया है पागल ,

उसकी मोहब्बत पे किसको शक है ।

बगैर उसके भले ही बन्दे ,

ये तेरी महफ़िल जवाँ रहेगी ।

पर बेकरारी की हर कहानी ,

तुम्हारे दिल में बयाँ रहेगी ।

जो कर रहा तू बेजान धन की,

तेरी इबादत पे उसका हक़ है ।

वो पल भी आएगा एक दिन तो ,

जब मौत तेरी करीब होगी ।

ओ भव्य महलों में रहने वाले ,

ज़मी चार गज ही नसीब होगी ।

क्यों अपने बल पे तू फूलता है,

ये तेरी ताकत पे उसका हक़ है ।

कि उसके सिजदे में सर लाखों ,

झुकते रहें हैं झुका करेंगे ।

खुदा के दर पे खुदा के बन्दे ,

नमाज़ यूँ ही पढ़ा करेंगे ।

कि उसकी मर्ज़ी से वो रही जो ,

वो तेरी बरकत पे उसका हक़ है ।

औरों की हस्ती मिटा रहे हो ,

न होगी दुनिया आबाद तेरी ।

कि अपनी हस्ती मिटा के देखो ,

तो पूरी होगी ज़ेहाद तेरी ।

खुद को मिटा कर खुदा में मिल जा ,

तो उसकी जन्नत पे तेरा हक़ है ।

मौलिक व अप्रकाशित

नीरज

Views: 516

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Nishchal on July 13, 2013 at 11:39am

बहुत बहुत अनुग्रह आदरणीय बृजेश जी ।

Comment by बृजेश नीरज on July 12, 2013 at 4:53pm

बहुत सुन्दर! अभिभूत हूं आपकी रचना पढ़कर!
काश! आप यदि छंद विधान समूह और गजल की बातें समूहों के सदस्य हो गए होते तो आज गजब ढा रहे होते।
इस रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई!
सादर!

Comment by Neeraj Nishchal on July 12, 2013 at 10:08am

thanks sumit bhai

Comment by Neeraj Nishchal on July 12, 2013 at 10:07am

बहुत बहुत आभार आ० आशुतोष जी

Comment by Neeraj Nishchal on July 12, 2013 at 10:06am

बहुत बहुत धन्यवाद आ० श्याम नारायण भाई

Comment by Sumit Naithani on July 12, 2013 at 9:52am

sunder 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 11, 2013 at 5:37pm

बेहतरीन रचना ..बधाई हो 

Comment by Shyam Narain Verma on July 11, 2013 at 3:42pm
बहुत ही सुन्दर रचना , हार्दिक बधाई......................................."

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service