For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Neeraj Nishchal
  • 33, Male
  • Lucknow Uttar Pradesh
  • India
Share on Facebook MySpace

Neeraj Nishchal's Friends

  • शान्तनु जोशी
  • sarika choudhary
  • neeraj sanadhya
  • गिरिराज भंडारी
  • Priyanka Pandey
  • arvind ambar
  • Dr Babban Jee
  • Priyanka Tripathi
  • sanju shabdita
  • जितेन्द्र पस्टारिया
  • annapurna bajpai
  • बृजेश नीरज
  • वेदिका
  • vijay nikore
  • Dr.Prachi Singh

Neeraj Nishchal's Discussions

कविता के भाव पर व्याकरण की तलवार क्यों
79 Replies

कविता हमारे ह्रदय से सहज ही फूटती है, ये तो आवाज़ है दिल की ये तो गीत है धडकनों का एक बार जो लिख गया सो लिख गया ह्रदय के सहज भाव से ह्रदय क्या जाने व्याकरण दिल नही देखता वज्न ...वज्न तो दिमाग देखता है…Continue

Started this discussion. Last reply by Dr Ashutosh Mishra Sep 4, 2013.

 

Neeraj Nishchal's Page

Latest Activity

Neeraj Nishchal updated their profile
Dec 3, 2020

Profile Information

Gender
Male
City State
Lucknow U.P.
Native Place
Lucknow
Profession
Auther
About me
तुम्हारी बन्दगी में मै नयी हर बात करता हूँ , तो दुनिया के पुराने लोग मुझसे रूठ जाते हैं । मै तेरी थामकर बाहें जो तेरे साथ चलता हूँ , मेरे हाथों से उनके हाथ अक्सर छूट जाते हैं । मोहब्बत हद से आगे जब गुज़र जाती है ऐ दिलबर । हमारे सामने हमको ही ले आती है ऐ दिलबर । के खुद से रूबरू होकर करें औरों का ही सिजदा , किनारे पर भी आकर वो मुसाफिर डूब जाते हैं । ना तारीफों के पुल बाँधू न तेरे हक़ में ताली दूँ । मेरा दिल आज कहता है तुझे जी भर के गाली दूँ । तोड़ दूंगा मै सारे भाव जो दिल में हैं तेरी खातिर , तोड़ना ही इन्हें वाजिब अगर ये टूट जाते हैं । मिटाकर आज रख दूंगा मै हम दोनों की ये हस्ती । या तू रह जाएगा बाकी , या मै रह जाऊंगा बाकी । एक ही शै जुदा होकर नही रह सकते हम दोनों , के मिलकर बूँद सागर भी हो एक ही रूप जाते हैं |

कभी बैठे बैठे आँखों में भर आये आंसू जाने क्यूँ | 

कभी महकी हवा से घुलने लगी साँसों में खुशबू जाने क्यूँ | 

कुछ बात अकेले पन में है , कोई गीत छिड़ा जीवन में है |

अस्तित्व के मौन तरानों का संगीत मेरी धड़कन में है | 

एहसास ये कुछ अनजाना सा, अब हर लम्हा दीवाना सा | 

पल पल में बहारें ले आये ये मौसम कुछ मस्ताना सा | 

ऐसे में फिर हो जाता है ये दिल बेकाबू जाने क्यूँ | 

 कभी बैठे बैठे आँखों में भर आये आंसू जाने क्यूँ |

 दिल कहता है पागल हो जाऊं, इस बहती हवा में उड़ जाऊं |

ज्यूँ नदियाँ मिलती सागर से ऐसी ही तुझ से मिल जाऊं | 

अब हर दीवार गिरा दूँ मै,सब एक में आज मिला लूँ मै | 

यूँ फैलाऊं बाहें अपनी सारा अस्तित्व समा लूँ मै | 

इन बहती हवा के झोकों में कोई जाता है छू जाने क्यूँ |

नीरज......

Neeraj Nishchal's Photos

  • Add Photos
  • View All

Neeraj Nishchal's Blog

अंजामे दिल/ग़ज़ल

महफिलों से एक दिन जाना ही है ।

आख़िरश अंजामे दिल तनहा ही है ।

क्या हुआ जो आज मै तड़पा बहुत,

मुद्दतों से दिल  मेरा तड़पा ही है ।

मै तुम्हे अपनी हकीकत क्या कहूँ,

तुमने जो सोचा तुम्हे करना ही है ।

प्यार के सपने बिखर कर चूर हैं,

प्यार भी शायद कोई सपना ही है ।

प्यार में दिल टूटना क्यों आम है,

सब ये कहते हैं कि ये…

Continue

Posted on February 18, 2018 at 1:56am — 3 Comments

इश्क कुछ इस तरह निबाह करो/ ग़ज़ल

इश्क कुछ इस तरह निबाह करो ।
तुम मुझे और भी तबाह करो ।

तोड़ दो दिल तो कोई बात नहीं,
टूटे दिल मे मगर पनाह करो ।

मै अगर कुछ नहीं तुम्हारा हूँ,
दर्द पर मेरे तुम न आह करो ।

चाहना तुमको मेरी फितरत है,
तुम भले ही न मेरी चाह करो ।

तुम सजा पर सजा सुना दो पर,
मत कहो मुझसे मत गुनाह करो ।

आज कुछ यूँ मुझे सताओ तुम,
ग़ज़ल पर मेरी वाह वाह करो ।

नीरज मिश्रा
मौलिक व अप्रकाशित

Posted on February 15, 2018 at 5:26am — 4 Comments

दिल/ग़ज़ल

दर्द में ऐसे जलता है दिल ।
मोम जैसे पिघलता है दिल ।

यादों में ही रहे बेकरार,
यादों में ही बहलता है दिल ।

दर बदर ठोकरें मिल रहीं,
पर भला कब सँभलता है दिल ।

कुछ कभी तो कभी है ये कुछ ,
लमहा लमहा बदलता है दिल ।

तनहा तनहा किसी शाम सा,
होके वीरान ढलता है दिल ।

प्यार का कोई दरिया सा है,
जिसमें हर वक्त घुलता है दिल ।

नीरज मिश्रा 

मौलिक व अप्रकाशित

Posted on February 14, 2018 at 12:18am — 6 Comments

मजबूर/ग़ज़ल

होके मजबूर तेरी गलियों से जाना होगा ।

अब खुदा जाने कहाँ अपना ठिकाना होगा ।

मै मना पाया न रब को न तेरे दिल को,

अब तो तनहाई में खुद को ही मनाना होगा ।

जान मेरी मै बिना तेरे जियूँगा लेकिन,

मेरे जीने में न जीने का बहाना होगा ।

तनहा होकर भी रहूँगा न कभी तनहा,

तेरी यादों का मेरे साथ ज़माना होगा ।

हर रजा अपनी मै हारूँगा रजा पर तेरी,

प्यार जब कर ही लिया है तो निभाना होगा ।

प्यार का नाम फकत प्यार को…

Continue

Posted on February 13, 2018 at 9:37am — 10 Comments

Comment Wall (5 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 2:23pm on December 15, 2014, Usha Pandey said…
नीरज जी ये , तो मेरा सौभाग्य है की आप लोगों के बीच स्थान मिला,
इसके लिए आभारी हूँ आपकी
At 12:15pm on August 19, 2013,
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
said…

प्रभावित होना एक बात है, लेकिन प्रोफ़ाइल फोटो किसी व्यक्ति की परिचयात्मकता की पहली कड़ी होती है. विश्वास है, तदनुरूप शीघ्र प्रयास करेंगे.

सादर

At 10:04pm on August 16, 2013,
सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी
said…

वाह नीरज भाई , क्या बात है

भले ही दुनियादारी के बड़े नादान पंछी हम ,

मगर दिल के हिसाबों में समझ अपनी सयानी है ।

At 1:45pm on August 11, 2013, neeraj sanadhya said…

आभार नीरज की ओर से नीरज को 

At 1:02am on July 2, 2013, जितेन्द्र पस्टारिया said…
"तहे दिल से शुक्रिया...."
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service