मेरे सीने में तेरी जुदाई का गम ।
मुझको जीने न दे बेवफाई का गम ।
बदले दुआ के दगा दे गये ।
मोहब्बत की ऐसी सजा दे गये ।
कोई जाकर उन्हें ये बताये ज़रा ,
क्या माँगा था हमने वो क्या दे गये ।
ये हाल दिल का मै किस से कहूँ ,
कौन समझेगा दिल की दुहाई का गम ।
मेरे टूटे दिल की वफ़ा के लिए ।
इन धडकनों की सदा के लिए ।
तुझको कसम है कि मिलने मुझे ,
बस एक बार आजा खुदा के लिए ।
जिसको मिला है ये जाने वही,
दिल में छुपी तनहाई का गम ।
मौलिक व अप्रकाशित
नीरज
Comment
बहुत बहुत अनुग्रहीत हूँ
आदरणीय राजेश जी आपकी बधाई से
सादर आभार ........._/\_
बहुत बहुत धन्यवाद अरुण भाई
आदरणीया प्राची जी आपको बहुत बहुत आभार ।
धन्यवाद आदरणीया प्रीती जी
राजेश भाई बाल बच्चे तो नही हैं मेरे
और जिसका अनुभव ही नही है उसको लिखना
मेरी नज़र में बेईमानी है
वो एक कल्पना से ज्यादा और कुछ नही होगा
। तहे दिल से शुक्रिया
शुक्रिया श्याम नारायण जी
धन्यवाद कुंती जी
आदरणीया कविता जी सही कहा आपने
और आपकी बात मान ने की कोशिश करूँगा
बहुत बहुत धन्यवाद
जिसको मिला है ये जाने वही,
दिल में छुपी तनहाई का गम
बधाई भाईजी.. .
आदरणीय नीरज मिश्र जी टूटे हुए दिल का दर्द बयां करने की अच्छी कोशिश की है आपने इस नज्म पर बधाई स्वीकारें.
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