For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बर्तन की जाली में एक लोटा और कुछ चम्मच थे | सारे चम्मच लोटा को दुनिया का सबसे अच्छा बर्तन मानते थे, उसकी जय-जयकार करते थे, लोटा हमेशा उनको चमक - दमक की दुनिया से बचने नसीहतें देता था, हमेशा उनको बताता था कि दुनिया वैसी नहीं है जैसी दिखती है, चम्मचों ! परदे के पीछे का खेल देखने की कोशिश किया करो, सच्चाई वहाँ छुपी होती है, बहुत लोग तुमको ऐसी नकली दुनिया में घसीटने की कोशिश करेंगे ऐसे लोगों से दूर रहो,,, और भी जाने क्या क्या .....
किसी ने लोटा को जाली से बाहर निकला और किचन के टाईल्स लगे चमकते दमकते फर्श पर रख दिया,  लोटा लुढक गया ..... चम्मच बहुत दुखी हैं

(नोट - चम्मच कभी स्कूल नहीं गये हैं इसलिए उनको कहावतों के विषय में कोई जानकारी नहीं है)

- वीनस केसरी

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 924

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on July 27, 2013 at 1:01am

आदरणीया कल्पना जी आपका तहे दिल से आभार व्यक्त करता हूँ

Comment by कल्पना रामानी on July 24, 2013 at 9:35am

वाह,वाह! वीनस जी लघुकथा में भी इतने सुंदर बिम्ब!  आपकी कलम का जादू देखकर अभिभूत हूँ। बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by वीनस केसरी on July 19, 2013 at 5:36pm

ये तो चम्मच को रखने के बाद पता चलेगा....
जय हो जय हो
शुभ्रांशु भाई जिंदाबाद ... बहुत सटीक बात कही

मगर चम्मचो के फिसलने पर शायद उतना हो हल्ला नहीं मचता और कोई दुखी भी नहीं होता,
नहीं तो इसके लिए भी कोई कहावत जरूर होती ...
आखिर हम सब पढ़े लिखे हैं और कहावतें भी जानते हैं .. उनमें चम्मचों का कोई जिक्र नहीं आता

Comment by Shubhranshu Pandey on July 19, 2013 at 1:56pm

क्या किसी चम्मच ने लोटे को लुढकने से रोकने के लिये उचकुन का काम नहीं किया???? या फ़िर ये किचन की जमीन ही इतनी चिकनी है कि सब कुछ फ़िसलने लगता है.....ये तो चम्मच को रखने के बाद पता चलेगा....

बहुत खूब बिम्बो से तो पूरी आलमरी भर गयी...वाह 

सादर...

Comment by वीनस केसरी on July 18, 2013 at 11:54pm

हार्दिक आभार जीतेन्द्र जी

Comment by वीनस केसरी on July 18, 2013 at 11:54pm

डॉ. प्राची जी
आपने चम्मचों के दुःख को महसूस किया यही मेरे लेखन की सार्थकता है ...
जिस अपार कष्ट से चम्मच गुज़र रहे हैं उसे महसूस करके ही मैंने यह कथा लिखी है ...

Comment by वीनस केसरी on July 18, 2013 at 11:52pm

बृजेश जी,
आपने तो मालामाल कर दिया ... :)))))))))))))
हार्दिक आभारी हूँ

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 18, 2013 at 7:24pm

आदरणीय..वीनस जी, व्यंगात्मक लघु कथा पर हार्दिक बधाई


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 18, 2013 at 2:00pm

इंगितों में लघु कथा को पढ़ कर मज़ा आ गया..

लोटा चमकते फर्श पर लुढक गया...बेचारे चमचे :((( काश पड़े लिखे होते तो कहावतें तो जानते 

बहुत सुन्दर लघुकथा वीनस जी 

हार्दिक बधाई 

Comment by coontee mukerji on July 18, 2013 at 1:32pm

वीनस जी, मैं तो लोटे के आस पास घुमती रह गयी और चम्मच मेरे पीछे पीछे और किचन का शेल्फ खाली.

सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। आ. भाई तिलकराज जी की बात से सहमत…"
14 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। सजल का प्रयास अच्छा हुआ है। कुछ अच्छे शेर हुए हैं पर कुछ अभी समय चाहते…"
22 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. भाई गजेन्द्र जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
31 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. भाई तिलकराज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, प्रशंसा, मार्गदर्शन और स्नेह के लिए हार्दिक…"
34 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. रिचा जी, गजल का सुंदर प्रयास हुआ है। हार्दिक बधाई।"
46 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आ. भाई गिरिराज जी सादर अभिवादन। एक जटिल बह्र में खूबसूरत गजल कही है। हार्दिक बधाई।"
47 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अच्छे शेर हुए। मतले के शेर पर एक बार और ध्यान देने की आवश्यकता है।"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेन्द्र जी नमस्कार  बहुत शुक्रिया आपका  ग़ज़ल को निखारने का पुनः प्रयास करती…"
6 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय तिलक जी नमस्कार  बहुत शुक्रिया आपका, बेहतरी का प्रयास ज़रूर करूँगी  सादर "
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"ग़़ज़ल लिखूँगा कहानी मगर धीरे धीरेसमझ में ये आया हुनर धीरे धीरे—कहानी नहीं मैं हकीकत…"
7 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"नहीं ऐसी बातें कही जाती इकदम     अहद से तू अपने मुकर धीरे-धीरे  जैसा कि प्रथम…"
7 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"मुझसे टाईप करने में ग़लती हो गयी थी, दो बार तुझे आ गया था। तुझे ले न जाये उधर तेज़ धाराजिधर उठ रहे…"
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service