धरती तो आधार है, जा न सके उस पार
जन्म,मरण अरु परण का,धरती ही आधार|
पञ्च तत्व से जन्म ले,पाय धरा की गोद
हरेभरे उपवन खिले, प्राणी करे प्रमोद |
धरती गगन जहां मिले,लगे नीर की झील
हिरन दौड़ते खोजने, निकले मीलो मील |
हीरे मोती कुछ नहीं, जितनी धरा अमूल्य,
सभी मिले भूगर्भ में, बिन माटी सब शून्य|
निर्धन या धनवान हो, दो गज मिले जमीन,
साँसों की डोरी थमे, जाय संपदा हीन |
(मौलिक व् अप्रकाशित)
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला
Comment
हार्दिक आभार स्वीकारे आदरणीय श्री विजय निकोरे जी |सादर
दोहे अच्छे लगे, आदरणीय लक्ष्मण भाई। बधाई।
सादर,
विजय निकोर
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