जेल जाय अपराध में, करते वे पद त्याग,
जन प्रतिनिधि क़ानून में,इससे उल्टा राग |
संविधान में निहित है, मूलभूत अधिकार,
सबको समान हक़ मिले, भेद करे सरकार |
रुपया गिरता देखकर, डालर मुंह बिचकाय,
बढे कर्ज के बोझ से, चिंता घेरे जाय |
कर्ज विदेशी बढ़ रहा, इधर तेल के दाम,
काला धन स्विस बैंक में,भुगते जन अंजाम|
रकम जमा स्विस बैंक में, घरवाले अनजान,
भेद दिए बिन चल बसे, घर के सब हैरान|
(मौलिक व् अप्रकाशित)
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला
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आपकी सापेक्ष टिपण्णी से दोहों का मान और बढ़ गया आदरणीय श्री सौरभ पाण्डेय जी | हार्दिक आभार स्वीकारे | सादर
कर्ज विदेशी बढ़ रहा, इधर तेल के दाम,
काला धन स्विस बैंक में,भुगते जन अंजाम|
रकम जमा स्विस बैंक में, घरवाले अनजान,
भेद दिए बिन चल बसे, घर के सब हैरान|
इन दोहों ने तो मानों सबके मन की कह डाली.
आपकी कशिशों के प्रति सादर धन्यवाद, आदरणीय.
दोहे सुन्दर और सामयिक बता कर मान देने के लिए हार्दिक आभार आपका श्री अशोक रक्ताले साहब | सादर
कर्ज विदेशी बढ़ रहा, इधर तेल के दाम,
काला धन स्विस बैंक में,भुगते जन अंजाम|...........बहुत सुन्दर.
आदरणीय लड़ीवाला साहब बहुत सुन्दर सामयिक दोहे रचे हैं बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.
इबारतें सब पढ़ रहे, बस गाफ़ और लाम,
परिस्थितियाँ विकट हुई, रोज बढ़ रहे दाम|
दोहे सुंदर सामयिक बाता कर मान देने एवं त्रुटी की ओर ध्यान दिलाने के लिये आपका हार्दिक आभार डॉ प्राची जी |
आदरणीय लक्ष्मण जी
सुन्दर सामयिक दोहावली
जन प्रतिनिधत्व विधान में,इससे उल्टा राग............विषम चरण में १४ मात्रा है
सबके हक़ समान रहे,..............................गेयता बाधित है
सुरसा समान कर्ज से..............................यहाँ भी गेयता बाधित है
सद्प्रयास के लिए हार्दिक बधाई
सादर.
दोहे सुन्दर बता मान देने के लिए हार्दिक आभार भाई श्री अरुण कुमार निगम जी
न्याय जनहित में करते, माने ना सरकार,
घोटाले होते रहे, खा खा कर फटकार |
दोहे के भाव पसंद करने के लिए हार्दिक आभार श्री रविकर भाई
घोटाले कर धन भरे, देते बाहर भेज,
मरते काला मुहं किये,मिले न सुख की सेज |
दोहे पसंद करने के लिए हार्दिक आभार आपका श्री डी पी माथुर साहब
वर्तमान परिदृश्य पर,सुंदर दोहे पाँच
बाँच बाँच करतूत को,बोल रहे हैं साँच ||
सुंदर दोहे आदरणीय......
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