For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

देश में फल-फूल रहा, सट्टे का बाजार,

कुछ लोगो के बिक रहे,देखो सब घर बार |

 

सट्टा गर सरकार का, नियमो में वह वैध

जनता गर सट्टा करे, उसको कहे अवैध |

 

राजनीति व्यवसाय है,दीमक जैसी चाट

घोटाले करते रहे,  कुर्सी के है  ठाट |

 

राजनीति में जो सफल,घोटालो में लिप्त, 

इस धंधे में देख लो,नेता सब संलिप्त |

 

बहुत संपदा पास में, कल तक तो थे रिक्त  

नित्य संपदा बढ रही, सुविधाएँ अतिरिक्त |

 

सुविधाए सब ले रहे, संसद करते ठप्प,

जिस दिन संसद चल पड़े,खूब लड़ाते गप्प | 

.

(मौलिक व् अप्रकाशित)

-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला

Views: 1275

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 14, 2013 at 9:47am

बहुत बहुत आभार श्री अशोक रक्ताले साहब, तीसरे दोहे को बदल्लने का प्रयास करूंगा 

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 14, 2013 at 12:34am

आदरणीय लड़ीवाला साहब सादर, सुन्दर दोहे कहे हैं. बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.हाँ तीसरे दोहे में मजा नहीं आया.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 13, 2013 at 9:33am

साहित्य में व्यंग रूप में बात कहने का अपना महत्व है आदरणीय विजय निकोरे जी, पर जोरदार यंग के जरीय समाज 

को चेताने के लये लिखने का साहस अब कम करते है | आपकी सराहना से मन में और द्रद्ता आई है | हार्दिक आभार |

Comment by vijay nikore on July 13, 2013 at 9:29am

ऐसा व्यंग आजकल कम ही पढ़ने को मिलता है। बधाई, आदरणीय।

सादर,

विजय निकोर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 13, 2013 at 9:21am

मजेदार है व्यंग ये, आभार  श्री बृजेश

मदारी जैसे लगते, अनपढ़ दे सन्देश |  

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 13, 2013 at 9:16am

दोहे सार्थक बन पड़े, मेरा प्रयास सार्थक हुआ, हार्दिक आभार आपका आदरणीया राजेश कुमारी जी 

Comment by बृजेश नीरज on July 12, 2013 at 10:50pm

मजेदार है! बधाई!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 12, 2013 at 6:25pm

बहुत सार्थक दोहे बहुत बहुत बधाई 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 12, 2013 at 3:32pm

ये तो मोटी चमड़ीवाले है भाई श्री राजेश कुंर झा साहब, इनको फर्क नहीं पड़ता, अपनी ही कलम घिसाई होनी है |

 दोहें पसंद करने के लिए हार्दिक आभार स्वीकारे 

Comment by राजेश 'मृदु' on July 12, 2013 at 3:19pm

बढि़या ठोंका है आपने, सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"गिरह का शेर अच्छा हुआ।"
42 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"जी, मार्गदर्शन के लिए आभार।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Poonam Matia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अच्छे अशआर हुए.........मुबारक खँडहर देख लें    "
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"तुझे तेज धारा उधर ले न जाए   जिधर उठ रहे हैं भंवर धीरे धीरे। ("संभलना" शब्द के…"
4 hours ago
Poonam Matia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय दयाराम जी शुक्रिया  हौसला अफज़ाई केलिए       "
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय अजय गुप्ता जी, बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है। बधाई स्वीकार करें।"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ग़ज़ल अच्छी हुई है। बधाई स्वीकार करें।"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय रिचा यादव जी, ग़ज़ल अच्छी हुई है। बधाई स्वीकार करें।"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय पूनम जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। बधाई स्वीकार करें।"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, पोस्ट पर आपकी टिप्पणी व सुझाव के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service