For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

देश में फल-फूल रहा, सट्टे का बाजार,

कुछ लोगो के बिक रहे,देखो सब घर बार |

 

सट्टा गर सरकार का, नियमो में वह वैध

जनता गर सट्टा करे, उसको कहे अवैध |

 

राजनीति व्यवसाय है,दीमक जैसी चाट

घोटाले करते रहे,  कुर्सी के है  ठाट |

 

राजनीति में जो सफल,घोटालो में लिप्त, 

इस धंधे में देख लो,नेता सब संलिप्त |

 

बहुत संपदा पास में, कल तक तो थे रिक्त  

नित्य संपदा बढ रही, सुविधाएँ अतिरिक्त |

 

सुविधाए सब ले रहे, संसद करते ठप्प,

जिस दिन संसद चल पड़े,खूब लड़ाते गप्प | 

.

(मौलिक व् अप्रकाशित)

-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला

Views: 1262

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 14, 2013 at 9:47am

बहुत बहुत आभार श्री अशोक रक्ताले साहब, तीसरे दोहे को बदल्लने का प्रयास करूंगा 

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 14, 2013 at 12:34am

आदरणीय लड़ीवाला साहब सादर, सुन्दर दोहे कहे हैं. बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.हाँ तीसरे दोहे में मजा नहीं आया.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 13, 2013 at 9:33am

साहित्य में व्यंग रूप में बात कहने का अपना महत्व है आदरणीय विजय निकोरे जी, पर जोरदार यंग के जरीय समाज 

को चेताने के लये लिखने का साहस अब कम करते है | आपकी सराहना से मन में और द्रद्ता आई है | हार्दिक आभार |

Comment by vijay nikore on July 13, 2013 at 9:29am

ऐसा व्यंग आजकल कम ही पढ़ने को मिलता है। बधाई, आदरणीय।

सादर,

विजय निकोर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 13, 2013 at 9:21am

मजेदार है व्यंग ये, आभार  श्री बृजेश

मदारी जैसे लगते, अनपढ़ दे सन्देश |  

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 13, 2013 at 9:16am

दोहे सार्थक बन पड़े, मेरा प्रयास सार्थक हुआ, हार्दिक आभार आपका आदरणीया राजेश कुमारी जी 

Comment by बृजेश नीरज on July 12, 2013 at 10:50pm

मजेदार है! बधाई!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 12, 2013 at 6:25pm

बहुत सार्थक दोहे बहुत बहुत बधाई 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 12, 2013 at 3:32pm

ये तो मोटी चमड़ीवाले है भाई श्री राजेश कुंर झा साहब, इनको फर्क नहीं पड़ता, अपनी ही कलम घिसाई होनी है |

 दोहें पसंद करने के लिए हार्दिक आभार स्वीकारे 

Comment by राजेश 'मृदु' on July 12, 2013 at 3:19pm

बढि़या ठोंका है आपने, सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
23 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर  होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर ।उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
23 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service