For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पांच दोहे - लक्ष्मण लडीवाला

एकाकीपन साँझ का, मन विचलित करजाय 
इस पड़ाव पर उम्र के , बनता कौन सहाय |

 
सुन्दर हर पल वह घडी,अनुपम सा उपहार 
साँस साँस की हर लड़ी,करती जैसे प्यार |

 

होठ छुअन अहसास ही, मुग्ध मुझे करजाय,

संयम त्यागा स्वपन में, चंचल मन भटकाय |

 

बहका बहका दिख रहा, खुद का ही व्यवहार

जैसे सब कुछ ख़त्म है, मन मेरा लाचार | 

 

मेरे जीवन में बसे, रूप  धरा  श्रृंगार,

पोर पोर में बह रही, बनी सतत रसधार |

 

-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला

Views: 889

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 6, 2013 at 11:55am

हार्दिक आभार स्वीकारे भाई श्री बृजेश नीरज जी 

Comment by बृजेश नीरज on July 5, 2013 at 6:22pm

आदरणीय लाडलीवाल जी बहुत सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 5, 2013 at 5:42pm

आपका हार्दिक आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी | सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 5, 2013 at 5:21pm

आदरणीय दिल छू गया प्रथम दोहा तो ,बहुत बढ़िया दोहावली वाह 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 5, 2013 at 4:02pm

आपके कथन से दोहे की सुन्दरता और बढ़ गयी, हार्दिक आभार आदरणीय श्री विजय निकोरे जी, एवं श्री सुमित नैथानी जी 

Comment by Sumit Naithani on July 5, 2013 at 2:45pm

सुंदर दोहे 

Comment by vijay nikore on July 5, 2013 at 1:41pm

इन सुन्दर दोहों के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय लक्ष्मण जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 5, 2013 at 10:28am

 दोहों को सराह सराह कर मनोबल बढाने के लिए हार्दिक आभार आपका  श्री अशोक रक्ताले साहब 

रक्ताले की बात भी,  देती रहे  सकून,

वाणी संयम सांझ में,खिलता रहे प्रसून 

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 5, 2013 at 8:46am

आदरणीय लड़ीवाला साहब सादर प्रणाम, बहुत सुन्दर दोहे, किस दोहे की तारीफ़ करूँ सभी एक से बढकर एक हैं.सादर बधाई स्वीकारें.

वाणी संयम सांझ में, बनता अधिक सहाय |

स्वप्न व्यर्थ के देखकर, मन पाछे पछताय ||

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 4, 2013 at 6:10pm

अतीत की ही स्मृतियाँ, एकाकी है भाव 

शब्दों में पिरो सकते, रचना के वे पाँव |

दोहे पसंद करने के लिए हार्दिक आभार आदरणीया कुंती मुखर्जी | सादर  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"गिरह का शेर अच्छा हुआ।"
53 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"जी, मार्गदर्शन के लिए आभार।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Poonam Matia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अच्छे अशआर हुए.........मुबारक खँडहर देख लें    "
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"तुझे तेज धारा उधर ले न जाए   जिधर उठ रहे हैं भंवर धीरे धीरे। ("संभलना" शब्द के…"
4 hours ago
Poonam Matia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय दयाराम जी शुक्रिया  हौसला अफज़ाई केलिए       "
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय अजय गुप्ता जी, बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है। बधाई स्वीकार करें।"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ग़ज़ल अच्छी हुई है। बधाई स्वीकार करें।"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय रिचा यादव जी, ग़ज़ल अच्छी हुई है। बधाई स्वीकार करें।"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय पूनम जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। बधाई स्वीकार करें।"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, पोस्ट पर आपकी टिप्पणी व सुझाव के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service