!!! चौपाई !!!
//प्रत्येक चरण में 16 मात्राएं, अन्त में दो गुरू या एक गुरू दो लघु होता है। जगण-121 तथा तगण-221 निषेध है//
मेघ तुम्हारा तन है काला।
मन है निर्मल गंगा वाला।!
चाल तुम्हारी गड़बड़ झाला।
बोल कड़क बिजली भय वाला।।
बरसे झम-झम हवा झकोरे।
रिसता तरल अमी वन भोरे।।
खेत खलिहान हुए विभोरे।
कृषक चले तन हल धर जोरे।।
हरषे रिम-झिम सावन जैसे।
छपरा झर-झर झरता तैसे।।
विरहनियां मन एक अकेली।
भीगे घर-तन हाय! सहेली।।
के0पी0सत्यम/मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आ0 सौरभ सर जी, सादर नमन!
बोल कड़क बिजली भय वाला का क्या अर्थ ? इसलिये पूछ रहा हूँ कि व्याकरण के लिहाज से कुछ बात बन नहीं रही है.........बातें कर्कश, बिजली की तरह डराने वाला।
दूसरे, खेत - खलिहान कहने में ठीक है लेकिन खेत के त्रिकल के बाद खलिहान के खलिहा का चौकल लय भंग की स्थिति बना रहा है...---.खेत + खलि + हान------- मेरा यही आशय था।
एक बात:
//जगण.121 तथा तगण.221 निषेध है//......... सर जी! मेरा आशय चरण के अन्त में था।
चौपाई में कहाँ? किस स्थान पर जगण और तगण निषेध है? यदि पद में कहीं भीए तो फिर जय कपीश तिहुँ लोक उजागर में कपीश क्या है?
आपके स्नेह, आशीष और उत्साहवर्धन हेतु आपका बहुत-बहुत हार्दिक आभार। सादर,
आ0 अन्नपूर्णा जी, उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार। सादर,
आ0 बृजेश भाई जी, उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार। सादर,
भाईजी, भाव दशा से इ सुन्दर प्रयास के लिए बधाई.
बोल कड़क बिजली भय वाला का क्या अर्थ ? इसलिये पूछ रहा हूँ कि व्याकरण के लिहाज से कुछ बात बन नहीं रही है. दूसरे, खेत-खलिहान कहने में ठीक है लेकिन खेत के त्रिकल के बाद खलिहान के खलिहा का चौकल लय भंग की स्थिति बना रहा है.
एक बात:
//जगण-121 तथा तगण-221 निषेध है//
चौपाई में कहाँ ? किस स्थान पर जगण और तगण निषेध है ? यदि पद में कहीं भी, तो फिर जय कपीश तिहुँ लोक उजागर में कपीश क्या है ?
adarniy kewal bhai ji , khubsurat chaupaiyon ke liye badhai .
आदरणीय केवल जी इस सुन्दर रचना पर आपको हार्दिक बधाई!
आ0 जितेन्द्र भाई जी, आपके स्नेह और रचना अनुमोदन के लिए आपका बहुत-बहुत हार्दिक आभार। सादर,
आ0 अभिनव भाई जी, आपके स्नेह और रचना अनुमोदन के लिए आपका बहुत-बहुत हार्दिक आभार। सादर,
आ0 श्याम नारायण भाई जी, आपके स्नेह और रचना अनुमोदन के लिए आपका हार्दिक आभार। सादर,
"खेत खलिहान हुए विभोरे।
कृषक चले तन हल धर जोरे।।"...आदरणीय..केवल जी, सुंदर अति सुंदर चौपाईयां....हार्दिक बधाई स्वीकार करें
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