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हक़ किसी का छीनकर, कैसे सुफल पाएँगे आप?
बीज जैसे बो रहे, वैसी फसल पाएँगे आप।
यूँ अगर जलते रहे, कालिख भरे मन के दिये,
बंधुवर! सच मानिए, निज अंध कल पाएँगे आप।
भूलकर अमृत वचन, यदि विष उगलते ही रहे,
फिर निगलने के लिए भी, घट- गरल पाएँगे आप।
निर्बलों की नाव गर, मझधार छोड़ी आपने,
दैव्य के इंसाफ से, बचकर न चल पाएँगे आप।
प्यार देकर प्यार लें, आनंद पल-पल बाँटिए,
मित्र! तय है, तृप्त मन, आनंद-पल पाएँगे आप।
शुद्ध भावों से रचें, कोमल गज़ल के काफिये,
क्षुब्ध मन के पंक में, खिलते कमल पाएँगे आप।
याद हो वेदों की भाषा, मान संस्कृति का भी हो,
हे मनुज! सम्मान का, विस्तृत पटल पाएँगे आप।
मौलिक व अप्रकाशित
कल्पना रामानी
Comment
वंदना जी, आत्मीय प्रशंसा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
आदरणीय, श्याम नरेन जी, अरुण अंबर जी,नीरज मिश्रा जी, अरुण अनंत जी, आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद। आप सबके सम्मान और स्नेह से ही ऊर्जा कई गुना बढ़ जाती है और आगे बढ्ने की प्रेरणा मिलती है।
सादर
आदरणीय विजय मिश्र जी, आपका हार्दिक आभार...
आहा, इत्ती सुंदर टिप्पणियाँ!!!मेरी तो आप सबने पुरस्कारों से झोली भर दी है।सिर्फ एक घंटे सुबह टहलते हुए मन ही मन सारे भाव बाँधकर सीधे टाइप करके पोस्ट कर दी। जल्दबाज़ी की आदत हमेशा से है सोचा बाद में संशोधन करती रहूँगी। हर रचना में कुछ न कुछ बदलती रहती हूँ और एडमिन जी को परेशान करती हूँ। वीनस जी आपका हृदय से धन्यवाद.....
सच कहूँ तो दो बार आया और मतले के आगे नहीं बढ़ सका ...
बेहद सधा हुआ सटीक मतला ... घिसा पिटा मजमून ... और आपने ऐसे बाँधा है कि दिल अश - अश कर उठा ...
लाजवाब कर दिया
और अभी जब आगे बढ़ा तो मुकम्मल ग़ज़ल ने बाँध लिया ...
सच ऐसी उम्दा ग़ज़ल जिसका हर शेर लाजवाब करने की कूवत रखता हो ....
बहुत दिनों के बाद पढ़ने को मिली ऐसी शानदार ग़ज़ल
बेशक इस ग़ज़ल से नए पुराने सभी लोग बहुत कुछ सीख सकते हैं ....
हिन्दी तत्सम शब्दों के साथ उर्दू अल्फाज़ के अनगढ़ प्रयोग से लाख गुना बेहतर है कि हम ऐसी ग़ज़ल कहने का प्रयास करें ....
मुझे खुद बहुत कुछ सीखने को मिला है इस ग़ज़ल से
आपका ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ
-=-=================================
केतन जी का कमेन्ट पढ़ कर बहुत दुःख हुआ ...
बिना सोचे समझे और ये विचार किये कि मंच पर एक शानदार रचना के साथ कैसे व्यवहार करना चाहिए अपनी अल्प जानकारी के साथ ऐसी शानदार ग़ज़ल को बेबहर घोषित कर देना ... आह ... कैसा ह्रदय विदारक दृश्य प्रस्तुत करता है
केतन जी आपसे निवेदन है कि ऐसी घोषणाओं से बचें और अपनी जानकारी बढाने के प्रति और उत्सुक हो जाईये
अध जल गगरी को छलकाने से आपकी कमियां ही उजागर होंगी ....
आप कहते हैं कि ग़ज़ल से सम्बन्धित लेखों को आप बहुत ध्यान पूर्वक पढते हैं मगर अब मुझे आपकी कही यह बात बिलकुल असत्य प्रतीत हो रही है
वाह वाह वाह लाजवाब शानदार धारदार ग़ज़ल सभी के सभी अशआर सीधे दिल को छू गए, हार्दिक बधाई के साथ साथ दिल से ढेरों दाद भी कुबूल फरमाएं.
बधाई बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है !
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