बहर में लिखने का प्रथम प्रयास
2 1 2 2 1 2 2 1 2 2 1 2
.
जिंदगी में तुम्हारी कमी रह गई
प्यास मेरी अधूरी यही रह गई
आशियाने बहे ना डगर ही मिली
सूचना आसमानी धरी रह गई
घोर तांडव हुआ खैर पा ना सके
फूल तोडा गया बस कली रह गई
ये कयामत चली लेखनी की तरह
ख़्वाब टूटे मगर चोट भी रह गई
ये ख़ुशी नागवारी खुदा को हुई
तो अकड़ आदमी की धरी रह गई
पेड़ काटे अगर तो सही त्रासदी
पेड़ रोपे धरा फिर हरी रह गई
........................................
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ……………… |
आदरणीय भाई वीनस जी ,आपकी मेरी रचना पर प्रथम टिप्पिनी से मन प्रसन्न हो गया ,तह दिल से शुक्रिया
आदरणीय आशुतोष जी हार्दिक अभिनन्दन
शानदार प्रयास है
हार्दिक बधाई स्वीकारें
aapke pratham utkrist prayas ko naman .saadar
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online