खुशियाँ लाया तीज है , गाएं गीत मल्हार
आंगन पींगों से सजे , झूलें कर श्रृंगार||
झूलें कर श्रृंगार ,ओढ के लाल चुनरिया
चूड़ियाँ हरी लाल , पहन झूमती गुजरिया||
आया श्रावण माह ,माँ ने पीहर बुलाया
मिले प्रेम उपहार, तीज है खुशियाँ लाया||
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मौलिक व अप्रकाशित
Comment
कुण्डलिया छंद में दोहा और रोला अन्योन्याश्रय हिस्सा होते हैं. रोला वाले भाग के दूसरे या सम चरण को ३-२-४-२-२ के विन्यास पर रखा करें सहुलियत भी होगी और गेयता भी बनी रहेगी.
शुभेच्छाएँ
आदरणीया वंदना जी हार्दिक आभारी हूँ
आदरणीय पीयूष अरुण गलती इंगित करने के लिए शुक्रिया
आदरणीय लक्ष्मण भाई साहिब शुक्रिया हौंसला बढ़ाने के लिए
अनुमोदन के लिए आभार अरुण भाई जी !
आदरणीया सरिता जी बहुत ही सुन्दर कुण्डलियाछंद पियुष भाई की बातों से सहमत हूँ बधाई स्वीकारें.
सुन्दर कुंडलियाँ छंद रचना -सामयिक ! राजस्थान में सावन माह में तीज का भारी मेला भी भरता है तीज माता की सवारी
निकलती है | महिउलाओ के लिए तो विशेष महत्व का तीज गणगौर का त्यौहार मनाया जाता है | सुन्दर रचना के लिये
हार्दिक बधाई सरिता भाटिया बहिन जी
बहुत सुन्दर भाव सरिता जी
आदरणीय सरिता जी, भावों के लिए बधाई देते हुवे कहूँगा कि शिल्प पर प्रयास सतत जारी रखें और फिलहाल, रोले के द्वितीय चरण के प्रथम पाद तथा तृतीय चरण के द्वितीय पाद पर एकबार पुनः गौर करें ! सादर !
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