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गिला उनको हमसे हमीं से है राहत .
खुदा जाने कैसी है उनकी ये चाहत .
उनके लिए मैं खिलौना हूँ ऐसा .
जिसे टूटने की नहीं है इज़ाज़त .
इन्सां से नफ़रत हिफाज़त खुदा की .
ये कैसा है मज़हब ये कैसी इबादत .
बदन पे लबादे ख्यालात नंगे .
यही आजकल है बड़ों की शराफत .
सज-धज के मापतपुरी वो हैं निकले .
कहीं हो ना जाए जहाँ से अदावत .
गीतकार - सतीश मापतपुरी
मोबाइल -9334414611

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Comment by Khushboo on May 21, 2010 at 10:01am
इन्सां से नफ़रत हिफाज़त खुदा की .
ये कैसा है मज़हब ये कैसी इबादत .
बदन पे लबादे ख्यालात नंगे .
यही आजकल है बड़ों की शराफत .
bahut badhihya gazal hai satish mapatpuri jee......keep it up.....
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on May 21, 2010 at 10:00am
गिला उनको हमसे हमीं से है राहत .
खुदा जाने कैसी है उनकी ये चाहत .
उनके लिए मैं खिलौना हूँ ऐसा .
जिसे टूटने की नहीं है इज़ाज़त .
kya baat hai satish bhaiya.....aapki rachnaye ekdam behtareen hoti...aapki rachna ka intezaar rahta hai....aisehi likhte rahiye bhaiya...aapki agli rachna ka intezaar rahega..
Comment by aleem azmi on May 20, 2010 at 9:54pm
इन्सां से नफ़रत हिफाज़त खुदा की .
ये कैसा है मज़हब ये कैसी इबादत .
bahut umda ghzal ...aapke har alfaaz sher ke maine khez hote hai
bas aise hi likhte rahe

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 20, 2010 at 8:33pm
इन्सां से नफ़रत हिफाज़त खुदा की .
ये कैसा है मज़हब ये कैसी इबादत .
सतीश भाई बहुत अच्छे ख़यालात के सभी शेअर है, बहुत ही बढ़िया ,
Comment by दुष्यंत सेवक on May 20, 2010 at 1:56pm
गिला उनको हमसे हमीं से है राहत . खुदा जाने कैसी है उनकी ये चाहत
chahato ki amuman yahi hai dastaa mehbub ko to hai apke har ahsaas se vaasta.....umda sir ...badhiya rachna badhai.....
Comment by Rash Bihari Ravi on May 20, 2010 at 1:50pm
गिला उनको हमसे हमीं से है राहत .
खुदा जाने कैसी है उनकी ये चाहत .
उनके लिए मैं खिलौना हूँ ऐसा .
जिसे टूटने की नहीं है इज़ाज़त .
इन्सां से नफ़रत हिफाज़त खुदा की .
ये कैसा है मज़हब ये कैसी इबादत .
bah kya bat hain bhai jan
Comment by Kanchan Pandey on May 20, 2010 at 1:25pm
बदन पे लबादे ख्यालात नंगे .
यही आजकल है बड़ों की शराफत .
Bahut hi badhiya pakad hai, shandar hai yey gazal,
Comment by Admin on May 20, 2010 at 1:22pm
गिला उनको हमसे हमीं से है राहत .
खुदा जाने कैसी है उनकी ये चाहत .
उनके लिए मैं खिलौना हूँ ऐसा .
जिसे टूटने की नहीं है इज़ाज़त .
वाह सतीश जी वाह , जबरदस्त है ये ग़ज़ल, बहुत ही बढ़िया अंदाज है, जिनसे चाहत होती है उन्ही से तो शिकवा भी होता है, एक उम्द्दा ग़ज़ल कहा है सतीश जी, धन्यवाद,

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