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दुष्यंत सेवक
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  • India
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दुष्यंत सेवक's Discussions

आम आदमी के शायर को नमन
4 Replies

मशहूर शायर अदम गोंडवी उर्फ रामनाथ सिंह का रविवार सुबह लखनऊ में निधन हो गया। 'काजू भुनी प्लेट में व्हिकी भरी गिलास में,…Continue

Started this discussion. Last reply by Saurabh Pandey Dec 24, 2011.

 

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"आदरणीय संचालक महोदय, प्रस्तुत है मेरी एक अनगढ़ रचना 🙏🏾 मॉल और गार्डन शहर के, सुख उनमें यह कहाँ भला कच्ची मढ़ी ये गाँवों की दे, छाँह घनी और शीतला कर किलोल आह्लादित रहते, गाँव के ये नन्हें छौने देखकर इनके खुश चेहरे, सुख अपने लगते बौने"
Jan 20, 2024

Profile Information

Gender
Male
City State
Pune, Maharashtra
Native Place
Mehidpur, Madhyapradesh
Profession
Creative Advisor
About me
Ex Reporter Dainik Bhaskar, now a copywriter in an ad agency at indore...

दुष्यंत सेवक's Blog

सज़ा

शब्दों की जुगाली
करत रहा मनवा ये मवाली
लुच्चे से ख़यालात
लफंगे से अहसास
बदमाश जज़्बात
सोच रहा हूँ
सुना दूं इन्हें
उम्रकैद की सज़ा
डायरी के पन्नों में

Posted on April 21, 2012 at 5:27pm — 9 Comments

हाइकु

१. मनमीत रे 

    धोरे हो गए केश 
    मन रंगीला 
२. मनमीत रे 
    जग ने बिसराया
    तू ही संग है 
३. मनमीत रे 
    छोटी सी ये दुकान 
    जग अपना 
४. मनमीत रे 
    उम्र का है ढलान 
    नेह बढ़ाएं 
५. मनमीत रे 
    धन की नहीं आस 
    प्रीत है धन 
६. प्रियतमा री 
    मीठा लागे चुम्बन 
    भिगोया मन 
७.…
Continue

Posted on February 18, 2012 at 5:30pm — 5 Comments

आज तिमिर का नाश हुआ

आज तिमिर का नाश हुआ
दीपों की लगी कतार
कार्तिक अमावस्या लेकर आई
यह आलोकित उपहार

द्वार द्वार पर दीप जलें
घर घर हुआ श्रृंगार
हर देहरी प्रदीप्त हुई
बिखरा हर्ष अपार

झाड़ बुहार आँगन को
लक्ष्मी को दें आमंत्रण
करबद्ध हो सब करें
मन से रमा का वंदन

सभी को शुभ दीपावली...
दुष्यंत..........

Posted on October 24, 2011 at 6:38pm — 4 Comments

किसी और के पास कहाँ

घर शिफ्टिंग के दौरान एक पुरानी diary हाथ लगी और गर्द झाड़ी तो यह रचना नमूदार हुई. इस पर तारीख अंकित थी 12-8-1999...मैने सोचा कच्ची उम्र और कच्ची सोच की यह रचना के सुधि पाठकों की नज़र की जाए.

तुम्हारी जो ख़बर हमें है

वो किसी और के पास कहाँ

देख लेता हूँ कहकहों में भी

आंसू के कतरे

ऐसी नजर किसी और के पास कहाँ



ज़माने ने ठोकरें दी पत्थर समझकर

तुने मुझे सहेज लिया मूरत समझकर

होगी अब हमारी गुजर

किसी और के पास कहाँ



उम्र भर देख लिया

बियाबान में…

Continue

Posted on September 13, 2011 at 6:44pm — 6 Comments

Comment Wall (16 comments)

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At 2:39am on May 24, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकमनाएं 

At 12:25pm on March 28, 2012, MAHIMA SHREE said…
दुष्यंत जी नमस्कार आपको प्रतियोगिता में सफल होने के लिए बहुत-२ बधाइयाँ ...
At 8:56pm on January 2, 2012, Mukesh Kumar Saxena said…

मै आपका बहुत ही आभारी हूँ की आपने मेरी कविता की सराहना करके मेरा उत्साह वर्धन किया

At 10:40am on May 24, 2011,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 9:52am on May 24, 2011, PREETAM TIWARY(PREET) said…
MANY MANY HAPPY RETURNS OF THE DAY DUSHYANT BHAI...
At 12:58am on August 5, 2010, PREETAM TIWARY(PREET) said…
badhai ho dushyant jee....aapki rachna ko july mahine ka sarvasresth blog chune jane par bahut bahut badhai hooo
At 12:43am on August 5, 2010,
सदस्य टीम प्रबंधन
Rana Pratap Singh
said…
Dushyant ji badhai ho
At 12:23am on August 5, 2010, Admin said…
आदरणीय श्री दुष्यंत सेवक जी,
प्रणाम,
मुझे यह बताते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है की आपकी रचना को जुलाई महीने के लिये " महीने का सर्वश्रेष्ठ ब्लॉग " चुना गया है, आपको ओपन बुक्स परिवार की तरफ से बहुत बहुत बधाई, माँ सरस्वती आपकी कलम को ताकत दे, धन्यवाद |
At 8:08pm on May 24, 2010,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 7:37pm on May 24, 2010, PREETAM TIWARY(PREET) said…
MANY MANY HAPPY RETURNS OF THE DAY DUSHYANT JEE...

I WISH ALL YOUR DREAMS COME TRE THIS DAY...
 
 
 

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