For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Rohit Singh Rajput
  • Male
  • madhya pradesh
  • India
Share on Facebook MySpace

Rohit Singh Rajput's Friends

  • अशोक कत्याल   "अश्क"
  • केवल प्रसाद 'सत्यम'
  • Savitri Rathore
  • Neelima Sharma Nivia
  • Natwar singh tomar
  • Albela Khatri
  • geetanjali geet mishra
  • Yogi Saraswat
  • Dr.Prachi Singh
  • Sonam Saini
  • SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR
  • Harish Bhatt
  • लक्ष्मण रामानुज लडीवाला
  • PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA
  • Sanjay Mishra 'Habib'

Rohit Singh Rajput's Groups

 

Rohit Singh Rajput's Page

Latest Activity

Rohit Singh Rajput updated their profile
Apr 17, 2020

Profile Information

Gender
Male
City State
MP
Native Place
indore
Profession
student
About me
im gud and im maverick

Rohit Singh Rajput's Photos

  • Add Photos
  • View All

Rohit Singh Rajput's Blog

देखा एक स्वप्न

एक खवाब जो देखा था

सपने जो आँखों में संजोये थे

अरमान जो दिल में बरसे थे

तरसे थे सारी रातें

बरसे थे आँखों से ये दरिया

तड़पी थी ये रूहें

बुलंद थे ये होंसले

तेज थी आँखों में

छूना था आस्मां को

पाना था सारा जहाँ

जीना था उन सपनों को

करना था कुछ ऐसा

बन कर दिखाना था सरे जहाँ को

करनी थी दुनिया मुट्ठी में

कुछ कर गुजरने की तमन्ना थी

कुछ बदलने की आंस थी

कुछ ऐसी ख्वाइश थी

बस देखा एक स्वप्न था

आँखों जो…

Continue

Posted on April 11, 2013 at 4:30pm — 8 Comments

जिंदगी का सफ़र

कभी कभी सोचता हूँ

यह जिंदगी मुझे कहाँ ले कर चल पड़ी

क्या सोचा था क्या हुआ था

क्या खोया था क्या रोया था

न जाने कितनी थी मजबूरियां इतनी

किस मोड़ पे ले आई है ये जिंदगी

में कहाँ आ खड़ा हूँ

होश आई तो पता चला में किस मोड़ पे खड़ा पाया

जिंदगी तेरे संग जीना सीख लिया

तेरे गीत गुनगुनाता हूँ

तेरे संग चलता हूँ

खूबसूरत सफ़र है तू

हरदम हर पल कुछ नया है

कुछ कर गुजरने की तमन्ना है तू

खुशियाँ की बौछार है

हर दिन एक नया…

Continue

Posted on May 31, 2012 at 6:30pm — 8 Comments

क्या होती हैं ये यादें

यादें क्यों याद आती हैं

क्यों होती हैं ये यादें

क्या कहना चाहती हैं ये यादें

क्यों तड़पाती हैं ये यादें

क्यों याद आती हैं ये यादें

क्यों ना भुला कर भी भुला पाती हैं ये यादें

क्यों बार बार भिगो देती हैं नयनो को ये यादें

क्यों दुख देती हैं ये यादें

क्यों कमजोर बनाती हैं ये यादें

क्यों भावुक बनाती हैं ये यादें

क्यों धुंधली हो कर भी गायब नही होती हैं ये यादें

क्यों मिटाए ना मिटती हैं ये यादें

क्यों लौट आती हैं धुंधली यादें भी

क्यों… Continue

Posted on July 31, 2011 at 4:53pm — 3 Comments

प्यार का नसीब

पसंद तो हर कोई आ जाता है,

किसी भी इंसान को आप अपनी पसंद

आसानी से बना सकते हो पर

प्यार हर किसी इंसान से नही होता

ज़रूरी नही कि आप जिसे पसंद करे

जिसे चाहते है उसी से आपको प्यार हो

प्यार तो कब किससे और

कहाँ हो जाए पता ही नही चलेगा

जब प्यार होता है तब उसका

सौंदर्य नही देखा जायेगा 

ना ही आप ये देख पयेंगे कि

आपकी पसंद क्या थी

----------------------------------

हर किसी इंसान से प्यार नही होता

हर किसी की किस्मत इतनी

अच्छी… Continue

Posted on June 12, 2011 at 2:00pm — 3 Comments

Comment Wall (8 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 9:21pm on April 9, 2013, केवल प्रसाद 'सत्यम' said…

आ0 रोहित जी, आपका हार्दिक अभिनन्दन है...सादर,

At 12:58am on June 23, 2012, SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR said…

स्वागत  आप का ...कृपया अपना सुझाव और स्नेह बनाये रखें --भ्रमर ५ 

At 5:26pm on July 31, 2011, Sanjay Mishra 'Habib' said…

स्वागत मित्र...

At 8:49am on April 25, 2011,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 4:22pm on July 30, 2010,
सदस्य टीम प्रबंधन
Rana Pratap Singh
said…

At 10:39pm on July 27, 2010, PREETAM TIWARY(PREET) said…

At 10:11pm on July 27, 2010,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

At 9:33pm on July 27, 2010, Admin said…

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service