For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कभी कभी सोचता हूँ
यह जिंदगी मुझे कहाँ ले कर चल पड़ी
क्या सोचा था क्या हुआ था
क्या खोया था क्या रोया था
न जाने कितनी थी मजबूरियां इतनी
किस मोड़ पे ले आई है ये जिंदगी
में कहाँ आ खड़ा हूँ
होश आई तो पता चला में किस मोड़ पे खड़ा पाया
जिंदगी तेरे संग जीना सीख लिया
तेरे गीत गुनगुनाता हूँ
तेरे संग चलता हूँ
खूबसूरत सफ़र है तू
हरदम हर पल कुछ नया है
कुछ कर गुजरने की तमन्ना है तू
खुशियाँ की बौछार है
हर दिन एक नया सवेरा है
एक खूबसूरत लम्हा है तू
हर एक नया अहसास है
हर पल कुछ खास है
एक खूबसूरत सफ़र है तू
जीने की तम्मना है
तेरा नया सवेरा वो प्यारा अनुभव वो खूबसूरत प्रकृति
वो सूरज की पहली किरण
वो सवेरे की ताज़ी ठंडी हवा
वो बारिश की बूंदा बांदी
वो मिटटी की सुगंध
वो खिलखिलाते हुए फुल
वो चहकती हुई तितलियाँ
वो भौरों की आवाज
वो नीला साफ आसमान
वो पछियों की कतार
वो कोयल की मधुर आवाज
वो बारिश में भीगना
वो नदियाँ वो झरने
वो हरियाली
वो खूबसूरती
वो किसान की खेती लहराती हुई
वो तालाब कुयों से पानी भरना
नदियों में नहाना
मिटटी के घर घर खेलना
वो नाचते हुए खूबसूरत मोर
वो मीठे मीठे आम और खट्टी खट्टी केरियों का सवाद
वो नीम के पेड़ की छाँव
वो दोपहरी आराम फरमाना वृक्षों की छाँव में
कागज की नाव बहाना पानी में
यही एक जिंदगी का सफ़र है
और खूबसूरती है
वो विशाल समुन्दर
यह एक खूबसूरत जिंदगी का सफ़र है
जी लो तो १०० जन्म कम पड़ जाए

Views: 621

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on October 30, 2012 at 8:49pm

रोहित जी जय श्री राधे ..खूबसूरत बिभिन्न रंग ...जिन्दगी का फलसफा ..जिओ जी भर के ....सच है यह एक खूबसूरत जिंदगी का सफ़र है 
जी लो तो १०० जन्म कम पड़ जाए..आइये इस कुछ पल को ही यादगार बना लें 

भ्रमर ५ 
Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on June 23, 2012 at 1:01am

सच में प्यार से जी लो तो पल भर में सौ वर्ष की जिन्दगी मिल जाए रोहित जी  ..बहुत सुन्दर शमा बाँधा आपने बहुत कुछ दिखा दिया लिखते रहिये अभी और मेहनत  करिए रंग लायेगे मेंहदी घिस  जाने के बाद --भ्रमर ५ 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 3, 2012 at 10:58am

आदरणीय अशोक जी, आपसे सहमत हूँ यदि रचना पर और समय दिया गया होता तो स्वरुप कुछ अलग होता, प्रयास निश्चित ही बढ़िया है इसके लिए रोहित जी का मैं उत्साहवर्धन करता हूँ , सामान्यतः जिन शब्दों को प्रधान संपादक जी द्वारा दुरुस्त किया जाता है उसे बोल्ड कर दिया जाता है जिससे लेखक को पता चलें की उसने क्या क्या और कहाँ कहाँ त्रुटी की है |

Comment by Ashok Kumar Raktale on June 3, 2012 at 6:35am

रोहित जी
        नमस्कार, बहुत अच्छा प्रयास है और भी अच्छा हो सकता था. आपने कुछ शब्दों को बोल्ड कर दिखाया है मै इसका उद्देश्य नहीं समझ सका. लिखते रहें

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 1, 2012 at 5:28pm

भाई जी, मैं विधा का ज्ञाता नहीं हूँ. आपने अपने भाव प्रस्तुत किये, बढ़िया लगे. ये एक स्कूल है. सीखा जाये तो अच्छा. प्राची जी की सलाह भी मानने योग्य है.

शुभ कामना.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 1, 2012 at 4:48pm

 

रोहित जी,
ज़िंदगी हर रूप में बहुत खूबसूरत है....
पर इस अभिव्यक्ति को भी उतना ही खूबसूरत बनाने के लिए, थोड़ा सा और वक़्त दीजिये, और इसे निखारने का प्रयास कीजिये....
कथ्य पक्ष उत्तम है, पर शिल्प के लिहाज से आपको इसे और लय-बद्ध करना चाहिए व जो आप दृश्य प्रस्तुत करना चाहते हैं उनको इस तरह विस्तार से न दे कर, कम शब्दों में अर्थात सारगर्भित रूप में देने का प्रयत्न कीजिये...
आपके सदप्रयास के लिए हार्दिक बधाई..
Comment by Albela Khatri on June 1, 2012 at 4:39pm

zindgi ko itne aayaamon se dekhne ka hunar sirf aur sirf  kavi ke paas hota hai aur jab ye hunar  kaam me liya jata hai to aisi anupam rachna janm leti hai .

bahut bahut badhaai  bhai  Rohit Singh Rajpoot ji, bahut umda kaavya racha aapne....jai ho !

Comment by Rohit Dubey "योद्धा " on June 1, 2012 at 3:58pm

acha prayas he bhai, lekin thoda confined karke ikho ise jyada maja ayega

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service