कभी कभी सोचता हूँ
यह जिंदगी मुझे कहाँ ले कर चल पड़ी
क्या सोचा था क्या हुआ था
क्या खोया था क्या रोया था
न जाने कितनी थी मजबूरियां इतनी
किस मोड़ पे ले आई है ये जिंदगी
में कहाँ आ खड़ा हूँ
होश आई तो पता चला में किस मोड़ पे खड़ा पाया
जिंदगी तेरे संग जीना सीख लिया
तेरे गीत गुनगुनाता हूँ
तेरे संग चलता हूँ
खूबसूरत सफ़र है तू
हरदम हर पल कुछ नया है
कुछ कर गुजरने की तमन्ना है तू
खुशियाँ की बौछार है
हर दिन एक नया सवेरा है
एक खूबसूरत लम्हा है तू
हर एक नया अहसास है
हर पल कुछ खास है
एक खूबसूरत सफ़र है तू
जीने की तम्मना है
तेरा नया सवेरा वो प्यारा अनुभव वो खूबसूरत प्रकृति
वो सूरज की पहली किरण
वो सवेरे की ताज़ी ठंडी हवा
वो बारिश की बूंदा बांदी
वो मिटटी की सुगंध
वो खिलखिलाते हुए फुल
वो चहकती हुई तितलियाँ
वो भौरों की आवाज
वो नीला साफ आसमान
वो पछियों की कतार
वो कोयल की मधुर आवाज
वो बारिश में भीगना
वो नदियाँ वो झरने
वो हरियाली
वो खूबसूरती
वो किसान की खेती लहराती हुई
वो तालाब कुयों से पानी भरना
नदियों में नहाना
मिटटी के घर घर खेलना
वो नाचते हुए खूबसूरत मोर
वो मीठे मीठे आम और खट्टी खट्टी केरियों का सवाद
वो नीम के पेड़ की छाँव
वो दोपहरी आराम फरमाना वृक्षों की छाँव में
कागज की नाव बहाना पानी में
यही एक जिंदगी का सफ़र है
और खूबसूरती है
वो विशाल समुन्दर
यह एक खूबसूरत जिंदगी का सफ़र है
जी लो तो १०० जन्म कम पड़ जाए
Comment
रोहित जी जय श्री राधे ..खूबसूरत बिभिन्न रंग ...जिन्दगी का फलसफा ..जिओ जी भर के ....सच है यह एक खूबसूरत जिंदगी का सफ़र है
जी लो तो १०० जन्म कम पड़ जाए..आइये इस कुछ पल को ही यादगार बना लें
सच में प्यार से जी लो तो पल भर में सौ वर्ष की जिन्दगी मिल जाए रोहित जी ..बहुत सुन्दर शमा बाँधा आपने बहुत कुछ दिखा दिया लिखते रहिये अभी और मेहनत करिए रंग लायेगे मेंहदी घिस जाने के बाद --भ्रमर ५
आदरणीय अशोक जी, आपसे सहमत हूँ यदि रचना पर और समय दिया गया होता तो स्वरुप कुछ अलग होता, प्रयास निश्चित ही बढ़िया है इसके लिए रोहित जी का मैं उत्साहवर्धन करता हूँ , सामान्यतः जिन शब्दों को प्रधान संपादक जी द्वारा दुरुस्त किया जाता है उसे बोल्ड कर दिया जाता है जिससे लेखक को पता चलें की उसने क्या क्या और कहाँ कहाँ त्रुटी की है |
रोहित जी
नमस्कार, बहुत अच्छा प्रयास है और भी अच्छा हो सकता था. आपने कुछ शब्दों को बोल्ड कर दिखाया है मै इसका उद्देश्य नहीं समझ सका. लिखते रहें
भाई जी, मैं विधा का ज्ञाता नहीं हूँ. आपने अपने भाव प्रस्तुत किये, बढ़िया लगे. ये एक स्कूल है. सीखा जाये तो अच्छा. प्राची जी की सलाह भी मानने योग्य है.
शुभ कामना.
zindgi ko itne aayaamon se dekhne ka hunar sirf aur sirf kavi ke paas hota hai aur jab ye hunar kaam me liya jata hai to aisi anupam rachna janm leti hai .
bahut bahut badhaai bhai Rohit Singh Rajpoot ji, bahut umda kaavya racha aapne....jai ho !
acha prayas he bhai, lekin thoda confined karke ikho ise jyada maja ayega
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