For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्यों नहीं जनता की चिंता ?

भारत में लगातार घोटाले के मामले सामने आते जा रहे हैं और हालात यहां तक बन गए हैं कि दुनिया में भ्रष्ट देशों की सूची में भारत चौथे पायदान पर है। ऐसे में समझा जा सकता है कि सफेदपोश चेहरे किस तरह देश को लूटने का कीर्तिमान स्थापित करते जा रहे हैं, लेकिन सरकार है कि ऐसे कृत्यों पर लगाम नहीं लगा पा रही है। इस साल प्रमुख रूप से कामनवेल्थ गेम्स में सुरेश कलमाड़ी की अफरा-तफरी का कमाल, आदर्श सोसायटी के फ्लैट रिश्तेदारों को बांटने के मामले में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे अशोक चव्हाण का धमाल। 2 जी स्पेक्ट्रम मामले में करीब 1 लाख 76 हजार करोड़ का गोलमाल। इन घोटालों के सामने आने के बाद केन्द्र की यूपीए सरकार पूरी तरह घिरी हुई है, क्योंकि घोटालों पर घोटालों के बाद भी सरकार के रवैये को बेहतर नहीं कहा जा सकता। स्पेक्ट्रम मामले में संसद का शीतकालीन सत्र पूरी तरह हंगामे का भेंट चढ़ गया, क्योंकि विपक्ष, खासकर भाजपा जेपीसी अर्थात् संयुक्त संसदीय समिति गठित करने की मांग करते रहा और सत्र के 21 दिन संसद में कोई कार्य नहीं हो सका और न ही कोई प्रस्ताव पारित किया जा सका। ऐसी परिस्थिति में आने वाले दिनों में होने वाला सत्र को क्या विपक्ष चलने देगा ? या फिर सरकार अपने अड़ियल रवैये से उबकर जेपीसी गठित करने पर राजी हो जाएगी। इस तरह के कई सवाल हैं, जो आम जनता के जेहन में है, क्योंकि संसद के नहीं चलने से जनता के हितों पर कुठाराघात हुआ है। आखिर इसके लिए जिम्मेदार कौन है ? संसद सत्र नहीं चलने से जनता के टैक्स से मिले करोड़ों रूपये हो-हल्ला की भेंट चढ़ गया। देखा जाए तो विपक्ष के हंगामे और सरकार की मनमानी का खामियाजा केवल जनता भुगत रही है, क्योंकि किसी तरह के कार्य योजना पर चर्चा नहीं होने से उसे लागू कराने में भी कई दिक्कतें सामने आएंगी।
संसद में सत्र नहीं चलने का परिणाम यह सामने आ रहा है कि राज्यों के विधानसभाओं के सत्रों में भी यही हाल देखा जा रहा है। केन्द्र में कांग्रेसनीत यूपीए सरकार सत्ता में काबिज है और यहां विपक्ष में बैठी भाजपा जैसी पार्टी की कई राज्यों में सरकार है। लोकसभा के संसद सत्र में विपक्ष के नाते भाजपा ने जेपीसी की मांग को लेकर पूरे दिन हंगामा किया। कुछ इसी तरह के हालात छत्तीसगढ़ व मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों में हालात बने, विधानसभा के चार-पांच दिनों के सत्र में इस तरह विपक्ष में बैठी कांग्रेस हंगामा करती रही, जिससे किसी तरह के प्रस्ताव पर चर्चा नहीं हो सकी है। स्थिति यह हो गई कि बहुमत के आधार पर सरकार ने प्रस्ताव पारित तो कर ली, लेकिन यहां यदि विपक्ष चर्चा में अपनी भागीदारी निभाता तो जनता के हितों की कई और बातें सामने आतीं और कार्ययोजना को सही तरीके से क्रियान्वित किया जा सकता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और विधानसभा का यह सत्र केवल औपचारिकता बनकर रह गया। अभी उड़ीसा विधानसभा में विपक्ष द्वारा ऐसा प्रदर्शन किया गया, जिससे संसदीय परंपरा के साथ लोकतंत्र की गरिमा को भी आघात लगा। यहां विपक्ष के एक विधायक, अध्यक्ष के डेस्क में पैर पसारकर ऐसे सो गया, जैसे वह उसका घर या कार्यालय हो। ठीक है, विपक्ष को किसी नीति के विरोध में प्रदर्शन और हंगामा करने का अधिकार है, मगर यह अधिकार नहीं है कि संसदीय प्रक्रिया पर अडं़गा लगाए और कुछ ऐसा करे, जिससे लोकतंत्र की गरिमा को ठेस पहुंचे। जनता की दुहाई देकर विधानसभा या फिर संसद में हंगामा करने वाले ऐसे जनप्रतिनिधियों को क्या तनिक फिक्र नहीं रहती कि वे जनता के एक प्रतिनिधि के रूप में पहुंचे हैं और सत्रों के दौरान जनता की समस्या को सरकार के समक्ष रखने के बजाय, अपनी वजूद की लड़ाई लड़नी शुरू कर देते हैं, क्या इसे जनता के हितों की दृष्टि से उचित कहा जा सकता है ? इस बात को इन प्रतिनिधियों को समझने की जरूरत है।
चाहे वह केन्द्र की सरकार हो या फिर राज्य की सरकार, एक बात का तो उन्हें ध्यान देना चाहिए कि जहां जनता के पैसों की बर्बादी हो रही है, वहां सख्ती से पेश आए, न कि ढुलमुल का रवैया अपनाए। देश में फिलहाल भ्रष्टाचार और घोटाले का मुद्दा पूरी तरह छाया हुआ है। इन घोटालों से सबसे ज्यादा पीस रही है तो वह है, आम जनता, क्योंकि देश में गरीबी के हालात किसी से छिपा नहीं है और भारत में जिस तरह से अरबपति व करोड़पति राजनेताओं तथा नौकरशाहों की संख्या बढ़ती ही जा रही है, कुछ इसी तरह गरीबी भी भारत जैसे विकासशील माने जाने वाले देश में उसी गति से बढ़ रही है। कुल-मिलाकर देश में उसी तरह से आर्थिक असमानता बढ़ती जा रही है, जिससे जनता बेचारी व बेबस बनकर रह जा रही है, इसे विडंबना ही कहा जा सकता है। देश में घोटाले पर घोटाले हो रहे हैं और जांच पर जांच हो रही है, लेकिन किसी भी मामले में कोई परिणाम सामने नहीं आ रहा है। बरसों से यही खेल तो भारत में चल रहा है, भला अब तक किसी घोटाले में किसी घोटालेबाज को सजा मिल पाई है ? वैसे तो अधिकतर घोटाले जनता के सामने आ नहीं पाते और जो मामले आ जाते हैं, उन्हें जांच के नाम पर ऐसे दबाया जाता है, जैसे कुछ हुआ ही नहीं। शायद जांच में लगे अफसरों को लगता है कि जनता कुछ दिनों बाद चुप हो जाएगी और अपना सवाल पूछना बंद कर देगी ? यही कारण है कि किसी भी घोटाले के लिए जब जांच टीम बनती है तो तमाम तरह के प्रश्न उठ खड़े होते हैं ? जनता भी जानना चाहती है कि देश में हुए घोटाले और उनके पैसों को हजम करने वालों का क्या हुआ, किन्तु अफसोस के साथ कहना पड़ेगा कि उन मामलों में कार्रवाई तो दूर, आम जनता के समक्ष जानकारी भी सामने नहीं लाई जाती है। हां, इतना जरूर किया जाता है कि जांच का एक पुलिंदा बना दिया जाता है और उसे किसी बड़े ओहदे पर बैठे राजनेता या फिर नौकरशाह के समक्ष पेश कर दिया जाता है। यहां स्थिति यह रहती है कि जांच की वह फाइल धूल खाती पड़ी रहती है और धीरे-धीरे घोटाले और घोटालेबाजों के चेहरे छिपाने की कोशिश की जाती है।
इन परिस्थितियों के अलावा देखा जाए तो देश में भ्रष्टाचार और घोटालों पर अंकुश लगाने केन्द्र की यूपीए सरकार की मंशा भी साफ नजर नहीं आती, यदि ऐसा होता तो प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह इस मसले पर इस तरह कठोर नहीं बने रहते। जेपीसी गठित करने के मामले में सरकार इतना कह रही है कि इससे पहले भी जेपीसी बनी है, लेकिन उससे कुछ हासिल नहीं हुआ। आखिर इन नाकामियों के लिए किसे जिम्मेदार माना जा सकता है, सरकार उन बातों का हवाला देकर कहीं-कहीं अपनी जिम्मेदारियों से बचने की कोशिश कर रही है। केन्द्र की यूपीए सरकार इसलिए भी कठघरे में खड़ी होती है, क्योंकि सीवीसी अर्थात सतर्कता आयुक्त के रूप में ऐसे व्यक्ति के नाम पर सहमति जता दी गई है, जिनका नाम 2 जी स्पेक्ट्रम मामले में आया है। सीवीसी बना दिए गए पीजे थामस पर सुप्रीम कोर्ट के कड़क मिजाज का भी कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। ऐसे में समझा जा सकता है कि थामस, आखिर ऐसी कारस्तानी करने की हिम्मत कहां से जुटा रहा है ? निष्चित ही जनता की अदालत में केन्द्र की यूपीए सरकार पूरी तरह कटघरे में खड़ी है और इसका जवाब जनता, सत्ता के मदखोरों को आने वाले चुनाव में जरूर देगी।
राजकुमार साहू
लेखक इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकार हैं
जांजगीर, छत्तीसगढ़

Views: 200

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service