अच्छा !!!!
तो प्रेम था वो !!!
जबकि केंद्रित था लहू का आत्मिक तत्व
पलायन स्वीकार चुकी भ्रमित एड़ियों में !
किन्तु -
एक भी लकीर न उभरी मंदिर की सीढियों पर !
एड़ियों से रिस गईं रक्ताभ संवेदनाएं !
भिखमंगे के खाली हांथों की तरह शुन्य रहा मष्तिष्क !
हृदय में उपजी लिंगीय कठोरता के सापेक्ष
हास्यास्पद था-
तोड़ दी गई मूर्ति से साथ विलाप !
विसर्जित द्रव का वाष्पीकृत परिणाम थे आँसू !
हाँ !
शायद प्रेम ही था !
अभीष्ट को निषिद्ध में तलाशती हुई ,
संडास में स्खलित होती बीमार पीढ़ी का प्रेम !
.
.
.
................................................. अरुन श्री !
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
आदरणीय श्याम जुनेजा सर , आपकी टिप्पणी , आपकी चेतावनी सर -माथे ! अभी सिखने की प्रक्रिया में हूँ ! शीर्षस्थ विचारक के हिसाब से कमियां तो होंगी ही ! और आपने ठीक कहा , मैं नकारात्मक भावों को अपने जीवन में महसूस कर रहा हूँ पिछले कुछ महीनों से !
अक्सर ऐसी घटनाएँ होतीं हैं जब प्यार में असफल प्रेमी अपनी प्रेयसी को सजा देते हैं , फिर खुद को ! खुद को सजा दे लेने से उनके प्रति सहानिभूति रखने वाले भी खड़े हो जाते हैं ! अभी हाल ही में हुई JNU वाली घटना को प्रेम कहे जाते देखकर जो मन में आया , लिख दिया ! अच्छा लगा कि आपने चेताया ! सतत मार्गदर्शन करते रहें ! सादर !
अरुन अनंत भाई , रचना आपके अंतर्मन तक पहुँच सकी तो सफल हुआ लिखना ! धन्यवाद !
कवि राज बुन्देली सर , आश्चर्य कि आपने सराहा जबकि आपके सुसंस्कृत विचार इस कविता से भिन्न हैं !
अत्यंत सुखद !
धन्यवाद !
गहन भाव पिरोये अंतर्मन को स्पर्श करती सुन्दर प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई भाई अरुन श्री जी.
वाह्ह्ह्ह्ह्ह सुन्दर रचना हेतु बधाई अरुन भाई
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online