मै अपनी तक़दीर पर कभी , रोया या नही रोया
पर मेरे जज्बातों पर आसमा टूट के रोया |
मै क्या क्या बताऊ मे क्या क्या गिनाऊ ,
क्या नही पाया मैंने क्या नही खोया |
मेरी हर रात कटी है सो वीमारो के जैसे
दर्द से जुदा होकर मै एक पल नही सोया |
मेरे जीने पे जो जालिम , मातम मनाता रहा ,
मेरे मरने पर वो जी भर के क्यों रोया |
मेरे दिल के जख्म फूलो से निखरते रहे
मैंने कभी इनको मरहम से नही धोया |
बडो की ये बड़ी बाते ,हमे देती रही है ये नसीहत
अब काटो बही जो बीज वो तुमने था जो बोया |
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
हेमंत जी , अन्नपूर्णा जी वसुंधरा जी भाई नीरज आप लोगो का समर्थन होसला बड़ा गया केतन जी का आदेश सर आँखों पर.........
सभी का आभार !
बहुत अच्छा प्रयास है आपका! आपको सादर बधाई!
वाह जी...बहुत सुन्दर ....
adarniy bahut badhiya rachna hetu badhai swikaren .
बहुत अच्छे ,,,,,,, वधाई...........
आपका मार्गदर्शन मिला , अच्छा लगा ...होसला अफजाई का सुक्रिया !अरुण जी
बसंत जी ,जितेन्द्र भाई और स्याम वर्मा जी का गर्दिक आभार\
अमन भाई जी प्रयास अच्छा हुआ इस हेतु बधाई स्वीकारें, यदि आप ग़ज़ल कहते तो हैं कृपया बहर जरुर लिखा करें ताकि टिपण्णी करना सहज हो सके, कंटक त्रुटियों पर ध्यान दें.
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