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हो रहा भारत निर्माण !

कल तक, तो सुबह   ही खटर - पटर ,ची . चु  की आवाज़ सुनकर ही पता चल जाता  था कि  मेरे पड़ोसी अमर सिंह जी के बच्चो को लेने रिक्शाबाला  आ गया है | उम्र 50 से एक -आध साल ही उपर होंगी , पर गरीब जल्दी  बढता है , और जल्दी ही मरता है  इसलिए लगता 70 साल का था  | नाम कभी पता नही किया मैंने उसका , होंगा कोई राजा राम  या बादशाह खान क्या फर्क पड़ता है नाम से ?

 दाढ़ी भी  पता नही किस दिन बनाता था ? जब भी देखा  ,उतनी की उतनी , सफ़ेद काली , मिक्स वेज जैसी , न कम न ज्यादा ! पोशाक बिलकुल , भारतीय पजामा कुर्ता ,कभी चेक का हरा - नीला तहमद  ,जिससे उसके धर्म का पता चलता था , पर गरीब का धर्म नही , पेट होता है , क्या पता ? किसी बड़े सहाब ने खुस होकर दिलवाया हो या सस्ता पड़ता हो, इस महगाई मे तहमद से तन को ढकना ,या मनरेगा योजना के जॉब कार्ड को अपने पास  जमा करने के बाद ,प्रधान जी ने इनाम मे दिया हो |

कभी कभी चढ़ाई पर बच्चो को नीचे उतर कर रिक्शा मे  धक्का मारते हुए देखा था मैंने | जिससे पता चलता था की सरकार की किसी योजना से उसे भरपेट खाना न मिला ,  फिर शरीर मे ताकत कहा  होती ? जो ५ बच्चो को ले कर चढाई पर रिक्शा खीच ले |कभी कभी बारिश तेज़ होने पर वो नही आता था ," बच्चे स्कूल नही जा पाए" इसलिए पैसे काट लिए जाते उसके , भले ही उस दिन स्कूल बंद हो जाता हो रैनी डे के नाम पर |

उस दिन अचानक उसकी मुर्गे के बांग जैसी रिक्शा की आवाज़ नही आई , बल्कि हलके  से सु - सु जैसी आवाज़आई मानो बिल्ली दवे पाव घर मे घुस  रही हो हडबडाहट मे अजीब से आवाज  सुनकर मे उठा , और बहार आकर देखा की एक नया प्रकार का रिक्शा खड़ा था , लाल रेक्सीन की छत बेठने की 8 लोगो की  सुंदर मजबूत सीट और आगे मोटरसायकिल जेसा हेंडिल , और मुस्कराता साफ सुथरा  नोजवान  चालक ,मानो हो रहा भारत निर्माण !

पूछने पर पता चला की दिल्ली मे १ लाख मे मिलता है और बेटरी से चलता है |बस रात मे चार्ज करो दिन मे पैसा कमायो |

अमर सिंह जी से पूछना ही पड़ा " पुराने को क्यों हटा दिया "

"भाई सहाब कई बार दारू पीकर रिक्शा चलाता था जी "

 "खुद मैंने पकड़ा उसको "

"छुट्टिया इतनी करता था की बस " ..गहरी साँस ली 

भाभी जी भी  चुप न रही ,बोल ही  गयी " कई बार लेट कर दिया बच्चो को "

 "अजी चढ़ाई पर बच्चो से धक्के लगवाता था |"

 " पैसे भी जाएदा थे ६०० ले रहा था ये ५०० मे है " "टेम भी काम लगता है अब" 

अब मेरी बारी थी बोलने की " जब इतनी कमिया थी तो ४ सालो से क्यों नही बदल  दिया उसको "? 

उनकी चुप्पी ने सब बोल दिया |मे बापस आ गया ||सोच रहा था की टी बी की सरकारी  दवाई पीने बाला गरीब , दारू कहा से पियेंगा ?अगर पी लेंगा तो परिवार तो भूखा ही  सोयेंगा | महेनत कश लोगो के लिए अब क्या बचा ? तकनिकी का प्रयोग अच्छा है पर मानव श्रम का समायोजन का क्या होंगा ?

मै चुप रह कर भारत निर्माण देख रहा था |

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment by AVINASH S BAGDE on August 20, 2013 at 6:41pm

मानव श्रम का समायोजन का क्या होंगा ?..sateek laghukatha aman kumar ji

Comment by aman kumar on August 20, 2013 at 3:43pm

रविकर भाई सहाब और पाठक जी का आभार ....

Comment by रविकर on August 20, 2013 at 2:20pm

बढ़िया है अमन-
शोर दूर तक हुआ-
सादर

Comment by ram shiromani pathak on August 20, 2013 at 2:00pm

आदरणीय सुन्दर प्रस्तुति //हार्दिक बधाई आपको

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