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ग़ज़ल : न गाँधी से न मोदी से न खाकी से न खादी से

बह्र : १२२२ १२२२ १२२२ १२२२

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न गाँधी से न मोदी से न खाकी से न खादी से

वतन की भूख मिटती है तो होरी की किसानी से

 

ये फल दागी हैं मैं बोला तो फलवाले का उत्तर था

मियाँ इस देश में सरकार तक चलती है दागी से

 

ख़ुदा के नाम पर जो जान देगा स्वर्ग जायेगा

ये सुनकर मार दो जल्दी कहा सबने शिकारी से

 

ये रेखा है गरीबी की जहाजों से नहीं दिखती

जमीं पर देख लोगे पूछकर अंधे भिखारी से

 

चुने जिसको, सहे उसके सितम चुपचाप ये ‘सज्जन’

जमाने तंग आया मैं तेरी आशिक मिजाजी से

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(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on August 20, 2013 at 7:23pm

ऐसा ही कुछ करना पड़ेगा पियूष जी, सुझाव के लिए बहुत बहुत धन्यवाद

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on August 20, 2013 at 3:22pm

यहाँ गाँधी का अर्थ राहुल गाँधी, प्रियंका गाँधी, सोनिया गाँधी यानि गाँधी परिवार से है।

आदरणीय धर्मेन्द्र जी, आपकी बात ठीक है, पर आप मानिए कि प्रथम द्रष्टया ये मतला देखने पर ख्याल गांधी जी का ही आता है ! आप चाहें तो इसे ऐसे कर सकते हैं, "न राहुल से न मोदी से न खाकी से न खादी से"...सादर !

अनुमोदन के लिए शुक्रिया, वीनस भाई जी !

Comment by वीनस केसरी on August 19, 2013 at 11:50pm

पियुष द्विवेदी 'भारत' जी की बात में दम है 

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on August 19, 2013 at 11:28pm

यहाँ गाँधी का अर्थ राहुल गाँधी, प्रियंका गाँधी, सोनिया गाँधी यानि गाँधी परिवार से है। महात्मा गाँधी के बारे में यदि बात होती तो मैंने ‘गाँधी जी’ लिखा होता। अपनी बात रखने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया पियुष द्विवेदी जी। इसमें अशिष्ट कुछ भी नहीं है। प्रकाशन के बाद हर पाठक को रचना पर अपना मत व्यक्त करने का अधिकार होता है। स्नेह बनाये रखें।

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on August 19, 2013 at 1:45pm

गज़ल के लिए बधाई के साथ कहूँगा कि मतले से 'गांधी' हटा दीजिए भाई जी ! 'गांधी' का नाम मोदी या आज के किसी भी नेता के साथ बिलकुल उचित नही है ! आपका मतला अप्रत्यक्ष रूप से गांधी और मोदी में तुलनात्मकता पैदा कर रहा है ! आशा है मै स्पष्ट कर पाया ! कुछ अशिष्ट लगे तो क्षमा ! सादर !

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on August 17, 2013 at 10:05pm

बहुत बहुत धन्यवाद Sarita Bhatia जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on August 17, 2013 at 10:04pm

तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ MAHIMA SHREE जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on August 17, 2013 at 10:03pm

बहुत बहुत शुक्रिया  वीनस जी। आप के शब्द महत्वपूर्ण हैं।

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on August 17, 2013 at 10:02pm

बहुत बहुत धन्यवाद Kewal Prasad जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on August 17, 2013 at 2:15pm

तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ  Abhinav Arun जी, कि आपकी पारख़ी नज़रों को ग़ज़ल पसंद आई।

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